Fri, 26 Dec 2025 22:28:46 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
तिरुवनंतपुरम: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में आज एक नए राजनीतिक युग का सूत्रपात हुआ है। वामपंथी दलों के 45 साल पुराने अभेद्य किले को ध्वस्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम पर अपना भगवा परचम लहरा दिया है। यह केवल एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि दक्षिण भारत की राजनीति में एक बड़े वैचारिक बदलाव का संकेत है। दशकों से जिस मेयर की कुर्सी पर केवल लेफ्ट का एकाधिकार माना जाता था, उस पर आज भाजपा के वरिष्ठ नेता वी.वी. राजेश आसीन हो गए हैं। नगर निगम के इतिहास में यह पहला अवसर है जब भाजपा ने बहुमत के साथ मेयर पद पर कब्जा जमाया है, जिससे राज्य में सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ (LDF) को एक गहरा और ऐतिहासिक झटका लगा है।
इस ऐतिहासिक जीत की पटकथा जितनी रोमांचक रही, उतना ही दिलचस्प रहा मेयर पद के उम्मीदवार का चयन। चुनाव परिणामों के बाद राजनीतिक गलियारों में पूर्व आईपीएस अधिकारी और सेवानिवृत्त डीजीपी आर. श्रीलेखा का नाम मेयर पद के लिए सबसे आगे चल रहा था। माना जा रहा था कि पार्टी उनके प्रशासनिक अनुभव और 'स्टार फेस' का लाभ उठाएगी। हालांकि, अंतिम क्षणों में भाजपा के केंद्रीय और राज्य नेतृत्व ने संगठन के प्रति निष्ठा और जमीनी पकड़ को वरीयता दी। लंबी मंत्रणा के बाद, पार्टी ने अपने अनुभवी सिपाही वी.वी. राजेश पर भरोसा जताया। राजेश का चयन इस बात का प्रमाण है कि भाजपा अब केरल में केवल चेहरों पर नहीं, बल्कि अपने समर्पित कैडर और संगठनात्मक ढांचे पर चुनाव लड़ने और जीतने की रणनीति पर काम कर रही है।
वी.वी. राजेश का मेयर चुना जाना केरल की राजनीति में एक 'टर्निंग पॉइंट' माना जा रहा है। तिरुवनंतपुरम नगर निगम पर पिछले साढ़े चार दशकों से वामपंथी दलों का एकछत्र राज था। इसे लेफ्ट का ऐसा गढ़ माना जाता था जिसमें सेंध लगाना लगभग असंभव था। लेकिन, इस बार जनता ने बदलाव के पक्ष में जनादेश दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह जीत भाजपा के लिए केरल विधानसभा के आगामी चुनावों के लिए संजीवनी का काम करेगी। राजधानी में मिली यह सफलता यह दर्शाती है कि राज्य का शहरी मतदाता अब पारंपरिक लेफ्ट-कांग्रेस की नूरा-कुश्ती से हटकर तीसरे विकल्प को अपनाने के लिए तैयार हो चुका है।
शपथ ग्रहण के बाद वी.वी. राजेश ने इसे 'तिरुवनंतपुरम के विकास की जीत' बताया। निगम मुख्यालय के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते ही बनता था, जहाँ ढोल-नगाड़ों और 'भारत माता की जय' के नारों के बीच इस जीत का जश्न मनाया गया। वहीं, विपक्ष के लिए यह परिणाम आत्ममंथन का विषय है कि आखिर उनकी सबसे मजबूत जमीन उनके पैरों तले से कैसे खिसक गई। बहरहाल, तिरुवनंतपुरम में खिला यह 'कमल' केरल की भावी राजनीति की दिशा और दशा दोनों बदलने की क्षमता रखता है।