वाराणसी: गति शक्ति प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश, CBI ने मारा छापा 5 गिरफ्तार

CBI ने पूर्वोत्तर रेलवे की गति शक्ति परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोप में वाराणसी, लखनऊ और गाजियाबाद में छापेमारी कर पांच लोगों को गिरफ्तार किया, साथ ही लाखों की रिश्वत बरामद की।

Wed, 16 Jul 2025 10:23:49 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: लखनऊ और गाजियाबाद में मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक बड़े ऑपरेशन के तहत उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के अफसरों के ठिकानों पर छापेमारी की। कार्रवाई रेलवे की गति शक्ति परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार की जांच के सिलसिले में हुई। जांच एजेंसी ने वाराणसी के DRM कार्यालय सहित कुल 11 स्थानों पर दबिश दी, जहां रिश्वत और अनुचित वित्तीय लाभ देने के मामलों में फंसे अधिकारियों, कर्मचारियों और एक निजी कंपनी के खिलाफ पुख्ता सबूत हाथ लगे। जांच के आधार पर CBI ने भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर आरोपों में पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनमें रेलवे के दो वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। साथ ही लगभग ₹5 लाख नकद, दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस की जब्ती की पुष्टि की गई है।

CBI के मुताबिक, यह कार्रवाई गति शक्ति परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश के भदोही में कार्यरत एक ठेकेदार के फर्जी बिल पास कराने से जुड़ी है। आरोप है कि कई रेलवे अधिकारी निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए बिल पास करने के एवज में मोटी रिश्वत ले रहे थे। प्रारंभिक जांच में पता चला कि लखनऊ में तैनात उत्तर रेलवे के उप महाप्रबंधक (कोऑर्डिनेशन) विवेक कुशवाहा ने ₹7 लाख की रिश्वत ली थी। वहीं वाराणसी में तैनात वरिष्ठ अधिकारी राकेश रंजन, मनीष कुमार, अभिषेक गुप्ता, योगेश गुप्ता और सुशील राय सहित कई अन्य ने भी ठेकेदारों से मिलीभगत कर फर्जी भुगतान पास किया।

CBI ने एक समन्वित योजना के तहत 14 जुलाई को लखनऊ में 4, वाराणसी में 6 और गाजियाबाद में 1 स्थान पर तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान अधिकारियों के घरों, कार्यालयों और निजी कंपनी के कर्मियों के परिसरों में छानबीन की गई। CBI के डिप्टी एसपी सुनील दत्त ने पुष्टि की कि तलाशी के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं, जिनसे रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है। कई आरोपियों के मोबाइल, लैपटॉप और अन्य डिजिटल उपकरण भी जब्त किए गए हैं।

CBI की जांच में यह भी सामने आया कि उप मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी को रंगे हाथों ₹2.50 लाख की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया, जबकि सहायक अभियंता स्तर के एक अन्य अधिकारी को ₹2.75 लाख की रकम लेने के बाद फरार घोषित किया गया है। इस मामले में एक निजी कंपनी मेसर्स टैंगेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड और उसके दो कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की गई है। इन लोगों पर अधिकारियों से सांठगांठ कर फर्जीवाड़ा करने का आरोप है।

CBI ने इस मामले में जिन व्यक्तियों को आरोपी बनाया है, उनमें प्रमुख रूप से उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारी शामिल हैं:

1. विवेक कुशवाहा – उप महाप्रबंधक (कोऑर्डिनेशन), उत्तर रेलवे

2. राकेश कुमार – वरिष्ठ उप महाप्रबंधक (कोऑर्डिनेशन), उत्तर रेलवे

3. मनीष कुमार – वरिष्ठ उप महाप्रबंधक, DRM कार्यालय, पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी

4. अभिनंदन गुप्ता – वरिष्ठ उप महाप्रबंधक (कोऑर्डिनेशन), पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी

5. योगेश गुप्ता – लेखा अनुभाग अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी

6. सुशील कुमार राय – वरिष्ठ लिपिक, सहायक अभियंता कार्यालय, पूर्वोत्तर रेलवे

7. प्रवीण कुमार सिंह – मेसर्स टैंगेंट प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली

8. जिमी सिंह – टैंगेंट प्राइवेट लिमिटेड से संबद्ध

9. MIS टैंगेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड

10. अन्य संदिग्ध – करीब 10 अज्ञात व्यक्ति व कर्मचारी जो इस घोटाले में शामिल बताए जा रहे हैं।

CBI ने गिरफ्तार किए गए अधिकारियों और कर्मचारियों को बुधवार को लखनऊ स्थित विशेष CBI अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। मामले की जांच अब भी जारी है और एजेंसी अन्य संलिप्त लोगों की भूमिका की गहराई से जांच कर रही है। जांच के अगले चरण में डिजिटल सबूतों की फॉरेंसिक जांच और वित्तीय लेन-देन का विश्लेषण किया जाएगा।

रेलवे के उच्च अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के इतने गंभीर आरोपों ने रेलवे की परियोजनाओं और कार्यप्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही, सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और रिश्वत के मामलों को लेकर एक बार फिर जवाबदेही तय करने की जरूरत को रेखांकित किया है। CBI द्वारा की गई यह कार्रवाई रेलवे विभाग में साफ-सुथरे प्रशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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