वाराणसी: CBI की छापेमारी में, वाराणसी डाक विभाग के दो अधिकारी रिश्वत लेते गिरफ्तार, विभाग में हड़कंप

वाराणसी में सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने डाक विभाग के दो अधिकारियों, सहायक अधीक्षक संजय सिंह और ग्रामीण डाक सेवक आत्मा गिरी को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया।

Sun, 15 Jun 2025 12:50:32 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: डाक विभाग से जुड़ा एक बड़ा भ्रष्टाचार प्रकरण सामने आया है, जिसने पूरे महकमे को झकझोर कर रख दिया है। सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए डाक विभाग के दो अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए अधिकारियों में डाक विभाग के सहायक अधीक्षक (हेडक्वार्टर) संजय सिंह और ग्रामीण डाक सेवक (असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर) आत्मा गिरी शामिल हैं। दोनों पर निरीक्षण के बाद रिपोर्ट लगाने और जब्त आधार कार्ड रजिस्टर लौटाने के नाम पर 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप है।

मामला उप डाकघर सेवापुरी से जुड़ा है, जहां कार्यवाहक मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) के रूप में कार्यरत धनेश वर्मा ने लखनऊ स्थित सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार, 13 मार्च को धनेश वर्मा के एसडीआई दिलीप पांडेय अवकाश पर थे, ऐसे में संबंधित कार्यों का प्रभार सहायक अधीक्षक संजय सिंह के पास था। उसी दिन संजय सिंह उप डाकघर सेवापुरी आए और आधार कार्ड से संबंधित रजिस्टर सहित अन्य अभिलेखों की जांच की। जांच के बाद वह आधार कार्ड रजिस्टर अपने साथ ले गए और इसके बाद से ही लगातार रिश्वत की मांग शुरू हो गई।

धनेश वर्मा का आरोप है कि जब उन्होंने 15 मार्च को संजय सिंह से रजिस्टर वापस देने का अनुरोध किया, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में 20 हजार रुपए की मांग कर डाली और कहा कि पैसे दिए बिना न तो रजिस्टर लौटाया जाएगा और न ही विभागीय कार्रवाई से बचा जा सकेगा। मजबूर होकर धनेश वर्मा ने अपनी आर्थिक स्थिति बताते हुए विनती की, परंतु अधिकारी नहीं माने। फिर, 6 जून को संजय सिंह और आत्मा गिरी पुनः उप डाकघर सेवापुरी पहुंचे और मार्च में हुई बातचीत का हवाला देते हुए जबरन 20 हजार रुपए ले लिए। यही नहीं, रजिस्टर फिर से अपने पास रख लिया और आठ जून को व्हाट्सएप कॉल कर 50 हजार रुपए और न देने पर सख्त परिणाम भुगतने की धमकी दी।

शिकायतकर्ता के अनुसार, आत्मा गिरी ने भी संजय सिंह के लिए अलग से 50 हजार रुपए की मांग की और लगातार मानसिक दबाव बनाते रहे। इस उत्पीड़न से परेशान होकर धनेश वर्मा ने सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच से संपर्क किया। डीआईजी एवं प्रमुख शिवानी तिवारी के निर्देश पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज की गई। डिप्टी एसपी रानू चौधरी के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई, जिसने वाराणसी पहुंचकर खेवली स्थित हाथीबाजार डाकघर में जाल बिछाया और शनिवार को दोनों अधिकारियों को रिश्वत की रकम लेते हुए रंगेहाथ पकड़ लिया।

गिरफ्तारी के बाद सीबीआई टीम ने दोनों आरोपियों से विस्तृत पूछताछ की, जिसमें मामला स्पष्ट रूप से उजागर हो गया। इसके बाद दोनों को अपने साथ लखनऊ ले जाया गया और उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। साथ ही, डाक विभाग को भी पत्र लिखकर विभागीय कार्रवाई आरंभ करने की संस्तुति की गई है।

सीबीआई की इस कार्रवाई से वाराणसी डाक विभाग में हड़कंप की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई अधिकारी और कर्मचारी सकते में हैं और अब विभागीय प्रक्रियाओं की पारदर्शिता को लेकर गहन मंथन शुरू हो गया है। वहीं, पीड़ित डाककर्मी धनेश वर्मा की ईमानदारी और साहस की चर्चा हो रही है, जिसने न केवल अपने आत्मसम्मान की रक्षा की बल्कि एक पूरे तंत्र को आईना दिखा दिया।

यह मामला यह भी दर्शाता है कि भ्रष्टाचार अब छुपा नहीं रह सकता और आम कर्मचारी भी यदि ठान ले, तो ऊँचे पद पर बैठे अधिकारी भी कानून के शिकंजे से नहीं बच सकते। सीबीआई की इस तत्पर और निष्पक्ष कार्रवाई ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में कानून का हाथ मजबूत है, बस ज़रूरत है हिम्मत और सच के साथ खड़े रहने की।

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