Thu, 11 Sep 2025 12:29:32 - By : Shriti Chatterjee
चंदौली जिले के उच्च प्राथमिक परिषदीय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्राओं के लिए एक नया और महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। शासन की पहल पर अब छात्राओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसका शुभारंभ नवरात्र से होगा। प्रशिक्षण का उद्देश्य यह है कि बेटियां विपरीत परिस्थितियों में खुद की सुरक्षा करने के लिए सक्षम बन सकें और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकें।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सचिन कुमार ने बताया कि चंदौली जिले के परिषदीय विद्यालयों में इस समय 67 हजार से अधिक बालिकाएं अध्ययनरत हैं। सभी छात्राओं को आत्मरक्षा की बुनियादी तकनीकें सिखाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए ताइक्वांडो को प्रशिक्षण का आधार चुना गया है। प्रत्येक विद्यालय में रोजाना 40 मिनट का समय छात्राओं के आत्मरक्षा प्रशिक्षण के लिए निर्धारित किया जाएगा।
प्रशिक्षण का आयोजन उच्च प्राथमिक विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में ही होगा। खेल अनुदेशक प्रशिक्षण देने के लिए जिम्मेदार होंगे। उन्हें विद्यालय में 24 दिन तक प्रशिक्षण कराना होगा और इस अवधि के पूरा होने पर उन्हें 2500 रुपये मानदेय भी दिया जाएगा। विद्यालयों का आवंटन शिक्षा विभाग द्वारा तय किया जाएगा ताकि सभी संस्थानों में कार्यक्रम सुचारु रूप से चल सके।
कार्यक्रम को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए एक डिजिटल व्यवस्था भी लागू की जा रही है। खेल अनुदेशकों को रोजाना प्रशिक्षण की उपस्थिति, फोटो और वीडियो ‘वीरांगना एप’ पर अपलोड करनी होगी। इसके अलावा विद्यालय में एक रजिस्टर भी रखा जाएगा जिसमें छात्राओं की संख्या दर्ज की जाएगी। इस रजिस्टर को पीटीआई द्वारा प्रमाणित किया जाएगा और बाद में प्रधानाध्यापक सत्यापन कर दस्तावेजों को बीईओ कार्यालय के माध्यम से बीएसए कार्यालय भेजेंगे।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि जिले की हर छात्रा तक आत्मरक्षा प्रशिक्षण पहुंचे। यह पहल न केवल छात्राओं को सुरक्षित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती को भी बढ़ाएगी। नवरात्र जैसे पावन अवसर पर इस कार्यक्रम का शुभारंभ होना इसे और भी विशेष बनाता है।
स्थानीय शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार का प्रशिक्षण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की छात्राओं को सशक्त बनाएगा। यह पहल बेटियों को न केवल विद्यालय के भीतर बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगी।