Thu, 06 Nov 2025 22:53:53 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
चंदौली: मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के डांडी के पास गुरुवार को हुए सड़क हादसे में एक छात्र की मौत ने स्थानीय लोगों को झकझोर दिया। हादसे के बाद मौके पर पहुंची पुलिस की देरी और अस्पताल में इलाज शुरू होने में हुई लापरवाही ने व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, घायल छात्र को अगर समय पर अस्पताल पहुंचाया जाता और तुरंत उपचार मिलता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह घटना गुरुवार दोपहर की है, जब मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के कैथापुर निवासी करन यादव (19) बाइक से अपने कॉलेज से घर लौट रहा था। डांडी के पास उसकी बाइक अनियंत्रित होकर फिसल गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। करन के सिर में गहरी चोट आई थी और वह सड़क पर लहूलुहान होकर पड़ा था। राहगीरों ने तुरंत 112 नंबर पर पुलिस को सूचना दी, ताकि घायल को इलाज के लिए भेजा जा सके।
सूचना पर पीआरवी (पुलिस रेस्पॉन्स व्हीकल) मौके पर पहुंची, लेकिन चश्मदीदों का कहना है कि पुलिसकर्मी करीब 20 मिनट तक केवल ऑटो रुकवाने की कोशिश करते रहे। जबकि उनके पास खुद सरकारी वाहन मौजूद था। इस देरी के बीच एक स्थानीय युवक आशीष चौहान ने अपनी पहल पर घायल छात्र को ई-रिक्शा में बैठाकर छह किलोमीटर दूर पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर स्थित राजकीय महिला चिकित्सालय पहुंचाया।
अस्पताल पहुंचने के बाद भी हालात सुधरे नहीं। आशीष के अनुसार, करन को इमरजेंसी वार्ड तक ले जाने के लिए शुरू में स्ट्रेचर तक नहीं मिला। स्वास्थ्यकर्मी की लापरवाही के कारण वह कुछ देर तक जमीन पर पड़ा तड़पता रहा। काफी कोशिशों के बाद स्ट्रेचर मिला, लेकिन उसे उठाने के लिए कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। मजबूरन आशीष ने बाहर खड़े पुलिसकर्मियों को बुलाकर खुद करन को स्ट्रेचर पर रखवाया। तब जाकर उसे इमरजेंसी में भर्ती किया गया, जहां डॉक्टरों ने उपचार शुरू किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। करन ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
“अगर पुलिस चाहती तो करन आज जिंदा होता” ऐसा कहना है घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले आशीष चौहान का। उन्होंने बताया कि पीआरवी के पास स्कॉर्पियो वाहन था, जिससे घायल को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सकता था, लेकिन पुलिसकर्मी मौके पर लगभग 25 मिनट तक केवल ऑटो खोजते रहे। आशीष ने सवाल उठाया कि जब जनता की मदद के लिए सरकारी वाहन दिया गया है, तो उसका इस्तेमाल आपात स्थिति में क्यों नहीं किया गया।
करन यादव सेना में तैनात सूबेदार संजय यादव का छोटा बेटा था। उसकी मौत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। घर पर करन के भाई और परिजन रो-रोकर बेहाल हो गए। वह पड़ाव स्थित एक इंस्टिट्यूट में डिप्लोमा कोर्स कर रहा था और पढ़ाई पूरी करने के बाद सेना में भर्ती होकर पिता की तरह देशसेवा करने का सपना देख रहा था।
पुलिस का पक्ष
इस घटना पर मुगलसराय कोतवाली प्रभारी निरीक्षक गगनराज सिंह ने बताया कि दुर्घटना की जानकारी मिलते ही पीआरवी मौके पर पहुंची थी। पुलिसकर्मियों ने वहां मौजूद लोगों की मदद से घायल को ई-रिक्शा से अस्पताल भेजवाया। पूरे मामले में आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
अस्पताल प्रशासन का बयान
राजकीय महिला चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. एस.के. चतुर्वेदी ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज की जांच में स्पष्ट हुआ है कि घायल करन यादव को शाम 4 बजकर 8 मिनट पर अस्पताल लाया गया था। 4 बजकर 12 मिनट पर उसका उपचार शुरू किया गया। डॉक्टरों की टीम ने युवक को सीपीआर देने की कोशिश की, लेकिन सिर में गंभीर चोट होने के कारण उसकी मौत हो गई।
फिलहाल, करन की मौत ने न सिर्फ पुलिस व्यवस्था पर, बल्कि आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी और मासूम की जान असमय न जाए।