Thu, 20 Nov 2025 12:09:36 - By : Garima Mishra
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को सिंचाई और जल संसाधन विभाग की विस्तृत समीक्षा बैठक में नहर प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। बैठक में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सिंचाई व्यवस्था को बेहतर करने के उद्देश्य से 95 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। सरकार का कहना है कि ये परियोजनाएं उन क्षेत्रों में जीवनरेखा साबित होंगी, जहां खेती का बड़ा हिस्सा नहरों पर निर्भर है। कुल 394 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इन परियोजनाओं के पूरा होने पर 36 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई क्षमता पुनर्स्थापित होगी। इससे लगभग 9 लाख किसानों और ग्रामीण आबादी को सीधा फायदा मिलेगा। इसके साथ ही 273 हेक्टेयर विभागीय भूमि को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया कि सभी स्वीकृत कार्य तय समयसीमा में पूरे हों और गुणवत्ता से किसी भी तरह का समझौता न हो। उनका कहना था कि ये परियोजनाएं केवल निर्माण कार्य नहीं बल्कि राज्य की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का माध्यम हैं। बैठक में बताया गया कि नहर प्रणाली से जुड़ी इन परियोजनाओं में नहरों के गैप्स को भरने के लिए नई नहर संरचनाएं, हेड रेगुलेटर और क्रॉस रेगुलेटर निर्माण, साइफन और फॉल निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं। इसके अलावा नहरों के आंतरिक और बाहरी सेक्शन की मरम्मत, क्षतिग्रस्त कुलाबों का पुनर्निर्माण और नहर पटरियों पर खड़ंजा निर्माण भी योजना का हिस्सा है।
परियोजनाओं के तहत नहर मार्गों पर स्थित कई पुलों और पुलियों की मरम्मत, निरीक्षण भवनों और कार्यालय भवनों के सुधार का कार्य भी किया जाएगा। नहरों पर मौजूद पनचक्कियों के संरक्षण और विभागीय भूमि की सुरक्षा के लिए बाउंड्रीवाल का निर्माण भी प्रस्तावित है। इन सभी कदमों का उद्देश्य सिंचाई नेटवर्क को अधिक प्रभावी और टिकाऊ बनाना है ताकि विभिन्न क्षेत्रों में पानी उपलब्धता सुचारू रहे। इससे पूर्वांचल, बुंदेलखंड, तराई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी किसान सिंचाई की कमी के कारण फसल नुकसान का सामना न करे। उन्होंने विभाग को अनुपयोगी पड़ी भूमि के सर्वेक्षण और उसके बेहतर उपयोग के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी दिए। उनका कहना था कि विभागीय भूमि का सुविचारित उपयोग भविष्य में आय बढ़ाने में सहायक होगा।
बैठक में मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रबंधन से जुड़ी तैयारियों की भी समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिया कि अगले वर्ष की संभावित जरूरतों को देखते हुए सभी तैयारी जनवरी से शुरू कर दी जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित कार्ययोजना जनप्रतिनिधियों से मार्गदर्शन लेते हुए तैयार की जाए ताकि बाढ़ से निपटने की तैयारी समय पर पूरी हो सके।