Wed, 10 Dec 2025 00:27:10 - By : SUNAINA TIWARI
नई दिल्ली : मंगलवार को हवा की रफ्तार बढ़ने से प्रदूषण स्तर में हल्का सुधार देखने को मिला। लगातार आठ दिनों तक बहुत खराब श्रेणी में दर्ज हो रहा वायु गुणवत्ता सूचकांक पहली बार नीचे आया और खराब श्रेणी में पहुंचा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुधार अस्थायी है और अगले कुछ दिनों में स्थिति फिर बिगड़ सकती है। वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के छह दिवसीय पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले दिनों में एक्यूआई के बहुत खराब से गंभीर श्रेणी तक गिरने की आशंका है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार शाम चार बजे तक 24 घंटे का औसत एक्यूआई 282 दर्ज किया गया। यह पिछले एक महीने में दूसरी बार है जब राजधानी की हवा बहुत खराब से नीचे आई है। इससे पहले 30 नवंबर को उन्नीस दिनों के बाद एक्यूआई 300 से नीचे आया था। सीपीसीबी के समीर एप के आंकड़ों के अनुसार राजधानी के 40 निगरानी स्टेशनों में से केवल पांच पर ही एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में रहा। सबसे साफ हवा आईजीआई एयरपोर्ट के आसपास दर्ज की गई जहां एक्यूआई 190 रहा जो मध्यम श्रेणी में आता है। बाकी 34 स्टेशनों पर वायु की गुणवत्ता खराब श्रेणी में रही।
आईआईटीएम पुणे के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के अनुसार मंगलवार को राजधानी में वाहनों से होने वाला प्रदूषण सबसे बड़ा स्रोत रहा और इसकी हिस्सेदारी 17.1 प्रतिशत दर्ज की गई। इसके बाद औद्योगिक इकाइयों से 8.3 प्रतिशत और घरेलू गतिविधियों से 4.1 प्रतिशत प्रदूषण उत्पन्न हुआ। बुधवार को भी वाहनों से प्रदूषण की हिस्सेदारी सबसे अधिक रहने का अनुमान है।
राजधानी में पिछले दिनों प्रदूषण के स्तर में तेजी से उतार चढ़ाव देखा गया है। दिसंबर के शुरुआती दिनों में वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती गई और कई दिनों तक गंभीर श्रेणी में बनी रही। नवंबर के अंत में मामूली सुधार के बाद फिर से हवा की हालत बिगड़ती गई। इससे यह स्पष्ट है कि मौसम के मौसमी बदलाव और प्रदूषण स्रोतों का प्रभाव एक्यूआई पर सीधे तौर पर पड़ रहा है।
दिसंबर 2025 में दैनिक एक्यूआई का स्तर इस प्रकार रिकॉर्ड किया गया:
30 नवंबर: 279 खराब
1 दिसंबर: 304 बहुत खराब
2 दिसंबर: 372 गंभीर
3 दिसंबर: 342 गंभीर
4 दिसंबर: 304 बहुत खराब
5 दिसंबर: 327 बहुत खराब
6 दिसंबर: 333 बहुत खराब
7 दिसंबर: 308 बहुत खराब
8 दिसंबर: 314 बहुत खराब
औसत एक्यूआई 321.4 रहा जो बहुत खराब श्रेणी में आता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय स्रोतों के अलावा मौसम की स्थिरता, धुंध और कम हवा की गति प्रदूषण को और बढ़ा देती है। इसके साथ ही ठंड बढ़ने के कारण प्रदूषक जमीन के पास जमा होने लगते हैं। राजधानी में वाहन संख्या में लगातार वृद्धि भी एक बड़ा कारण है जिससे प्रदूषण स्तर नियंत्रित करने में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।