Mon, 22 Sep 2025 10:28:39 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी: शारदीय नवरात्रि का आगाज आज बड़े उत्साह और आस्था के साथ हो गया है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना का विधान है और इसी को लेकर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में सुबह से ही चारों ओर जय जगदंबे और जय माता दी की गूंज सुनाई दी। शहर के विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं, विशेषकर अलईपुरा स्थित शैलपुत्री मंदिर और दुर्गाकुंड मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भक्त मां के दरबार में पूजा-अर्चना कर परिवार के सुख-समृद्धि और मंगल की कामना कर रहे हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन और पूजन से सभी बाधाओं का नाश होता है और जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है। दुर्गा सप्तशती में वर्णित है कि इस अवधि में मां दुर्गा के साथ-साथ काली, लक्ष्मी और सरस्वती की आराधना भी विशेष फलदायी होती है।
काशी का शैलपुत्री मंदिर बेहद प्राचीन माना जाता है। यहां के सेवादार पंडित बच्चेलाल गोस्वामी ने बताया कि इस मंदिर के निर्माण की तिथि और इसके संस्थापक के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी ऐतिहासिकता और महत्व को लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं। लोककथाओं के अनुसार राजा शैलराज के घर मां शैलपुत्री का जन्म हुआ था। उनके जन्म के समय नारद जी ने भविष्यवाणी की थी कि यह कन्या गुणवान होगी और भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था रखेगी। आगे चलकर जब माता युवावस्था में पहुंचीं तो वह भ्रमण करते हुए काशी आईं और यहीं शिव की नगरी में उनकी विशेष उपासना शुरू हुई।
ज्योतिषाचार्य आचार्य विकास ने बताया कि इस वर्ष की नवरात्रि का आरंभ विशेष संयोग में हुआ है। घट स्थापना का समय पूरे दिन शुभ माना गया है क्योंकि इस दिन शुक्ल और ब्रह्म योग का संगम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार मां दुर्गा गज यानी हाथी पर सवार होकर आई हैं। इसे शुभ संकेत माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं तो यह समृद्धि, उत्तम वर्षा और अच्छी फसलों का प्रतीक होता है। किसान समुदाय के लिए भी यह एक सकारात्मक संदेश है कि धन धान्य से भरे वर्ष की संभावना प्रबल है।
वाराणसी सहित पूरे प्रदेश में नवरात्रि को लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक उत्साह देखने को मिल रहा है। मंदिरों में विशेष सजावट की गई है और सुरक्षा व्यवस्था के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं ताकि भक्त बिना किसी बाधा के मां के दरबार में अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सकें।