Thu, 10 Jul 2025 09:46:37 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नोएडा: गुरुवार सुबह उत्तर भारत के कई इलाकों में लोगों ने उस समय दहशत के साए में घरों से बाहर भागना शुरू कर दिया, जब अचानक धरती हिलने लगी। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, भिवानी, बहादुरगढ़ और हरियाणा के अन्य कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। सुबह 9:04 बजे आई इस प्राकृतिक घटना ने कुछ ही क्षणों में दफ्तरों, स्कूलों और घरों में अफरा-तफरी मचा दी। कई इलाकों में लोग अपने कार्यस्थलों और आवासीय इमारतों से बाहर निकल आए। हालाँकि फिलहाल किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के मुताबिक, इस भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर जिले में था, जो राजधानी दिल्ली से सटे पश्चिमी हरियाणा का इलाका है। भूकंप का केंद्र जमीन की सतह से लगभग 10 किलोमीटर गहराई में स्थित था। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.4 मापी गई। वैज्ञानिकों के अनुसार, भूकंप की यह तीव्रता मध्यम स्तर की मानी जाती है, जो सतह पर हलचल तो पैदा करती है लेकिन आमतौर पर बड़े नुकसान की आशंका इससे नहीं रहती।
झज्जर जिले में दो अलग-अलग समय पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। पहला झटका सुबह 9:07 बजे आया, जब धरती कुछ सेकंड के लिए बुरी तरह कांपी। इसके बाद सुबह 9:10 बजे एक और हल्का झटका महसूस किया गया, जिसने लोगों की चिंता और बढ़ा दी। स्थानीय निवासियों के अनुसार, इन झटकों के कारण घरों की दीवारों में खड़खड़ाहट और खिड़की-दरवाज़ों में कंपन महसूस हुआ। अचानक कंपन से कई लोगों को ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बड़ा विस्फोट हुआ हो।
दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हिस्सों में लोग तत्काल सुरक्षित स्थानों की ओर भागते नजर आए। कई स्कूलों में बच्चे अचानक हुए कंपन से डर गए और शिक्षकों द्वारा तुरंत बाहर निकाला गया। वहीं कार्यालयों में काम कर रहे कर्मचारी भी अपने कंप्यूटर और काम छोड़कर इमारत से बाहर निकल गए। कुछ आवासीय सोसाइटियों में लोग पार्क और खुली जगहों में एकत्र हो गए। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपने अनुभव साझा किए और कुछ स्थानों से वीडियो क्लिप्स सामने आईं, जिनमें झटकों के दौरान हिलती हुई वस्तुएं और लोगों की प्रतिक्रिया साफ देखी जा सकती है।
गुरुग्राम, फरीदाबाद और नोएडा जैसे ऊंची इमारतों वाले इलाकों में इस झटके का असर अधिक महसूस किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि बहुमंजिला इमारतों में भूकंप की हलचल सामान्य इमारतों की तुलना में अधिक प्रभावी रूप से महसूस होती है। हालांकि, किसी बड़ी संरचनात्मक क्षति या जनहानि की सूचना अब तक नहीं मिली है।
भूकंप के झटकों के बाद, राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने स्थिति पर निगरानी बढ़ा दी है। वहीं, स्थानीय प्रशासन को भी अलर्ट मोड में रखा गया है। आपदा प्रबंधन टीमें किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखी गई हैं। झज्जर जिला प्रशासन ने स्थिति की निगरानी करते हुए लोगों से संयम बनाए रखने और अफवाहों से बचने की अपील की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के उत्तरी हिस्से खासकर दिल्ली-एनसीआर भूकंपीय क्षेत्र के ज़ोन-4 में आते हैं, जहां इस प्रकार की हलचलें आमतौर पर देखने को मिलती हैं। यह क्षेत्र इंडो-यूरेशियन प्लेट की टेक्टॉनिक गतिविधियों से प्रभावित होता है, जिससे समय-समय पर हल्के से मध्यम स्तर के भूकंप आते रहते हैं।
इस भूकंप के बाद एक बार फिर से दिल्ली-एनसीआर के भूकंप सुरक्षा उपायों पर बहस शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि बहुमंजिला इमारतों और घनी आबादी वाले इलाकों में आपदा प्रबंधन की तैयारी और जागरूकता बेहद जरूरी है। सरकार और शहरी विकास प्राधिकरणों को इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में किसी भी बड़ी आपदा की स्थिति में जनहानि को रोका जा सके।
फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन भूकंप के झटकों ने यह याद दिला दिया है कि प्रकृति की ताकत के सामने इंसान अभी भी बेहद असहाय है। इस घटना को एक चेतावनी के तौर पर देखते हुए ज़रूरी है कि आम नागरिक से लेकर प्रशासन तक, सभी सतर्क रहें और आपदा से निपटने के लिए आवश्यक कदम समय रहते उठाएं।