Thu, 24 Jul 2025 22:11:26 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: प्रदेश की राजधानी में बृहस्पतिवार दोपहर एक बेहद सनसनीखेज और भावनात्मक घटना सामने आई जब बाराबंकी निवासी एक परिवार के आठ लोग विधान भवन के सामने आत्मदाह की कोशिश करते पकड़े गए। इन लोगों का आरोप था कि उनके बेटे को हत्या के झूठे आरोप में जेल भेज दिया गया है, और उन्हें न्याय की कोई उम्मीद नहीं बची है। आत्मदाह से पहले एक महिला ने खुद पर पेट्रोल भी उड़ेल लिया, लेकिन सतर्क सुरक्षा बल ने समय रहते सभी को पकड़ लिया और एक बड़ी घटना टल गई।
मध्य जोन के डीसीपी डॉ. आशीष श्रीवास्तव के अनुसार, यह घटना करीब दोपहर दो बजे घटी जब बाराबंकी के घुंघटेर बजगैनी गांव निवासी जानकी प्रसाद अपनी पत्नी, बहू और अन्य रिश्तेदारों के साथ विधान भवन गेट नंबर-4 पर पहुंचे। जानकी प्रसाद की बहू रामदुलारी ने वहां खुद पर पेट्रोल डाल लिया, जिसे देख मौके पर तैनात आत्मदाह निरोधक दस्ते ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी को रोका और हजरतगंज पुलिस थाने ले जाया गया। पूछताछ में यह सामने आया कि परिवार के सदस्यों की शिकायत है कि जानकी प्रसाद के बेटे संतोष को पुलिस ने हत्या के एक मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जबकि उनका दावा है कि संतोष निर्दोष है और उसे झूठे आरोप में फंसाया गया है।
परिजनों के अनुसार, उन्होंने बाराबंकी पुलिस के अधिकारियों से इस मामले में कई बार शिकायत की, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। इसी से व्यथित होकर उन्होंने राजधानी आकर आत्मदाह का कदम उठाने का निर्णय लिया। जानकी प्रसाद, उनकी पत्नी उर्मिला देवी, बहू रामदुलारी, बेटा अंकित, रिश्तेदार पुष्पा देवी, पूनम देवी, मड़ियांव निवासी पंकज और जानकीपुरम की सरिता भारती इस आत्मघाती योजना में शामिल थे। घटना की जानकारी मिलते ही बाराबंकी पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे परिवार को अपने साथ वापस ले गई।
इस मामले में बाराबंकी के एएसपी उत्तरी विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि 20 जून को अरविंद लोध की हत्या की गई थी और पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए संतोष और उसके सहयोगी बृजेश कुमार को गिरफ्तार किया था। पुलिस जांच में यह बात सामने आई थी कि संतोष के अपनी चाची के साथ अवैध संबंध थे, जिसे लेकर विवाद हुआ और संतोष ने अरविंद लोध की तार से गला घोंटकर हत्या कर दी। यही नहीं, पुलिस के अनुसार, घटना की पुष्टि और आरोपियों की स्वीकारोक्ति के बाद ही उन्हें जेल भेजा गया।
हालांकि पीड़ित परिवार इन आरोपों को खारिज करता है और बेटे की बेगुनाही का दावा करते हुए मामले की दोबारा निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है। यह मामला न केवल पुलिस कार्यप्रणाली और न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक परिवार न्याय की आस में अपनी जान तक देने को मजबूर हो गया।
फिलहाल, पुलिस ने आत्मदाह की कोशिश को विफल कर परिवार को सुरक्षित रखा है, लेकिन यह घटना प्रशासन और समाज दोनों के लिए गंभीर चेतावनी है कि न्याय की गुहार अगर अनसुनी रह जाए, तो लोग कितना बड़ा कदम उठाने को तैयार हो जाते हैं।