Thu, 06 Nov 2025 15:28:33 - By : Garima Mishra
वाराणसी में गंगा का जलस्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगा है। यह इस वर्ष छठी बार है जब गंगा के बढ़ते पानी ने शहरवासियों की चिंता बढ़ा दी है। केंद्रीय जल आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, गंगा का जलस्तर अब 63 मीटर तक पहुंच गया है, जो चेतावनी बिंदु से लगभग 7.36 मीटर नीचे है। फिलहाल नदी का जलस्तर प्रति घंटे लगभग 2 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है, जिससे घाटों और तटीय इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई है।
पानी के बढ़ते स्तर से पंचगंगा, अस्सी, दशाश्वमेध, राजघाट और रामनगर जैसे प्रमुख घाटों का संपर्क टूट गया है। घाटों पर पानी भर जाने के कारण स्थानीय दुकानदारों, नाविकों और श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिन श्रद्धालुओं की रोजाना गंगा स्नान या पूजा की परंपरा है, वे अब घाटों से दूर रहकर किनारों पर ही जल अर्पण और आराधना कर रहे हैं।
स्थिति को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने सतर्कता के निर्देश जारी किए हैं। जल पुलिस और NDRF की टीमें घाटों पर तैनात की गई हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत राहत कार्य शुरू किया जा सके। प्रशासन ने घाट किनारों पर बैरिकेडिंग कर दी है और लोगों से पानी के करीब न जाने की अपील की है। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चेतावनी बिंदु दर्शाने वाले संकेत बोर्ड भी लगाए गए हैं, जिससे श्रद्धालुओं को सुरक्षित दूरी बनाए रखने में मदद मिले।
गंगा का जलस्तर बढ़ने से वरुणा नदी में बैक फ्लो का खतरा भी फिर से बढ़ गया है। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने प्रयागराज के दारानगर की तर्ज पर चैनलाइजेशन की योजना पर विचार शुरू कर दिया है। पर्यटन विकास और नदी के सौंदर्यीकरण के लिए पहले से स्वीकृत 201 करोड़ रुपये की योजना के तहत सफाई, पाथवे, रेलिंग, लाइटिंग, पौधरोपण, बैठने की व्यवस्था और पांच घाटों को पक्का बनाने का काम वर्ष 2016 में शुरू हुआ था, जिसे दिसंबर 2016 तक पूरा किया जाना था। हालांकि पांच साल बाद भी यह काम अधूरा है, जिसके चलते हर साल बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले एक माह से उत्तराखंड और पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में रुक-रुक कर हो रही बारिश का असर अब मैदानी इलाकों की नदियों में दिख रहा है। इसी वजह से गंगा का जलस्तर एक बार फिर बढ़ा है। हालांकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले दो से तीन दिनों में जलस्तर स्थिर होना शुरू हो जाएगा और स्थिति सामान्य होने लगेगी।
गंगा के बढ़ते जलस्तर ने जहां प्रशासन को सतर्क कर दिया है, वहीं स्थानीय निवासियों में बाढ़ की आशंका को लेकर चिंता बढ़ गई है। लगातार निगरानी और समय पर कार्रवाई ही इस स्थिति से निपटने का सबसे प्रभावी उपाय माना जा रहा है।