वाराणसी: अब गंगा की लहरों पर देसी गंगोत्री क्रूज से होगी ऐतिहासिक स्थलों की सैर

स्वदेशी गंगोत्री क्रूज अब वाराणसी से चुनार और गाजीपुर तक पर्यटकों को गंगा यात्रा पर लेकर जाएगा, जिससे सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

Thu, 21 Aug 2025 13:22:16 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: गंगा की लहरों पर अब पर्यटक एक नए अंदाज में काशी और उसके आसपास की सांस्कृतिक विरासत का आनंद ले सकेंगे। आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा और मेक इन इंडिया की भावना को साकार करता हुआ गंगोत्री क्रूज अब काशी से चुनार और गाजीपुर तक पर्यटकों को एक अविस्मरणीय यात्रा पर लेकर जाएगा। यह स्वदेशी तकनीक से तैयार चार मंजिला जलयान गंगा की गोद में "अतिथि देवो भव:" की परंपरा के अनुरूप मेहमाननवाजी का अनुभव कराएगा।

गंगोत्री क्रूज कोलकाता के प्रसिद्ध बोस शिपयार्ड में तैयार किया गया है। अलकनंदा क्रूज लाइन के निदेशक विकास मालवीय ने बताया कि यह जलयान पूरी तरह स्वदेशी कौशल और तकनीक का प्रतीक है, जो सांस्कृतिक पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। 52 मीटर लंबे और 12 मीटर चौड़े इस क्रूज में कुल 24 शानदार एयर कंडीशंड कमरे हैं, जिनमें एक समय पर 50 से अधिक पर्यटक ठहर सकते हैं। इसकी डिजाइन अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुसार तैयार की गई है ताकि यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

क्रूज का संचालन वाराणसी के रविदास घाट से होगा। यहां से पर्यटक न केवल गंगा की नैसर्गिक सुंदरता का आनंद उठाएंगे, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व से जुड़े कई स्थलों का भी दर्शन कर सकेंगे। यात्रा के दौरान क्रूज मिर्जापुर, विंध्याचल, चुनार किला, मार्कंडेय महादेव और गाजीपुर जैसे प्रमुख गंतव्यों तक ले जाएगा। लगभग 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलता यह जलयान यात्रियों को आरामदायक और सुकूनभरा अनुभव देगा।

गंगोत्री क्रूज को खास तौर पर भारतीय परंपराओं और सांस्कृतिक तत्वों से सजाया गया है। इसका इंटीरियर जहां देशी कला और संस्कृति की झलक पेश करता है, वहीं यात्रियों की सुविधा के लिए इसमें जिम, स्पा, रेस्टोरेंट, लाउंज एरिया और सन डेक जैसी आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं। यह संयोजन पर्यटकों को एक ही स्थान पर परंपरा और आधुनिकता दोनों का अनुभव कराता है।

क्रूज यात्रा को और खास बनाने के लिए इसमें योग सत्र, भक्ति संगीत की प्रस्तुतियां, बनारसी व्यंजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, घाटों के वॉकिंग टूर और हेरिटेज व्याख्यान जैसे आयोजन भी होंगे। इससे यात्रियों को न केवल सैर का आनंद मिलेगा, बल्कि काशी और गंगा घाटों की जीवंत संस्कृति को नजदीक से समझने का भी अवसर मिलेगा।

गंगोत्री क्रूज केवल पर्यटन को नई दिशा नहीं देगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगा। इसके संचालन से सीधे तौर पर 40 से अधिक लोगों को नौकरी मिलेगी, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से कई परिवारों की आजीविका इससे जुड़ जाएगी। साथ ही, क्रूज में 150 से अधिक मेहमानों को एक साथ भोजन परोसने की क्षमता है। इसके अलग-अलग तल के डायनिंग एरिया में विशेष रूप से बनारसी और पारंपरिक भारतीय व्यंजनों का स्वाद पर्यटकों को परोसा जाएगा।

गंगा की पवित्र धारा पर तैरता यह आधुनिक क्रूज न केवल वाराणसी के पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा, बल्कि देश और दुनिया से आने वाले यात्रियों के लिए भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और आतिथ्य का अनूठा अनुभव भी कराएगा। यह पहल काशी को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन गंतव्य के रूप में और अधिक स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकती है।

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