Mon, 11 Aug 2025 13:47:26 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
गाजीपुर: गंगा नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है, जिससे बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों ने थोड़ी राहत की सांस ली है। रविवार को भी गंगा का जलस्तर लगभग दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की गति से घट रहा था। हालांकि, यह अभी भी चेतावनी बिंदु 62.100 मीटर से ऊपर बह रहा है, जिससे खतरा पूरी तरह टला नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जलस्तर में दोबारा वृद्धि होती है, तो तटवर्ती क्षेत्रों के निवासियों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
बाढ़ का असर गांवों में अब भी साफ दिख रहा है। कई खेतों में पानी पूरी तरह नहीं उतरा है, जिससे किसानों की फसलें बर्बादी की कगार पर हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि अधिकांश प्रभावित गांवों के मार्गों से बाढ़ का पानी उतर चुका है, जिससे आवागमन में सुगमता आने लगी है। नगर के गंगा घाटों पर भी हालात सुधरने लगे हैं और अधिकांश सीढ़ियों से पानी पीछे हट चुका है।
बाढ़ के बाद जलकुंभी ने बढ़ाई मुसीबत
मौधा क्षेत्र में गोमती नदी में आई बाढ़ अपने साथ जलकुंभी भी ले आई है, जो अब किसानों के लिए नई परेशानी बन गई है। सिधौना, अमेहता, गौरी, गौरहट, तेतारपुर और खरौना गांव में सैकड़ों बीघे खेत जलकुंभी से ढक गए हैं। धान, बाजरा, मक्का, नेनुआ, भिंडी, लौकी और बैंगन जैसी फसलें इस जलकुंभी के नीचे दबकर नष्ट होने लगी हैं। जलकुंभी न केवल खेतों की उपजाऊ मिट्टी की क्षमता को कम करती है, बल्कि जलभराव बढ़ाकर पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की भी कमी कर देती है।
सिधौना के किसान महेंद्र का कहना है कि यदि समय रहते जलकुंभी को नहीं हटाया गया, तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। यह स्थिति बाढ़ के बाद के प्रभाव को और गंभीर बना रही है।
300 बीघा फसल अब भी जलमग्न
औड़िहार और आसपास के पटना शादीभादी, गोपालपुर, चकेरी, फुलवारी, फुलवारी कला, जौहरगंज, देवचंदपुर और रामपुर मांझा गांवों में बाढ़ का पानी घटने के बाद अब खेतों में कीचड़ की परतें नजर आ रही हैं। इन क्षेत्रों में करीब 300 बीघा में बोई गई सब्जी, धान और चरी की फसल अब भी जलमग्न है। किसान अब मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं मिल पाई है।
कटान से 12 बिस्वा भूमि गंगा में समाई
भांवरकोल क्षेत्र में गंगा के जलस्तर में कमी आते ही फिर से कटान शुरू हो गया है। शेरपुर के मुबारकपुर बस्ती से गहमर सिवान तक हो रहे कटान में अब तक लगभग 12 बिस्वा उपजाऊ कृषि भूमि गंगा में समा चुकी है। कुछ दिनों पहले जलस्तर में बढ़ाव के कारण कटान रुका था, लेकिन अब पानी घटने के साथ इसकी रफ्तार तेज हो गई है।
गाजीपुर में बाढ़ और कटान की यह दोहरी मार न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रही है, बल्कि आने वाले दिनों में खाद्यान्न और सब्जी उत्पादन पर भी असर डाल सकती है। प्रशासन के लिए यह बड़ी चुनौती होगी कि वह राहत कार्यों और कटान रोकने के उपायों को तेजी से आगे बढ़ाए, ताकि प्रभावित लोगों को समय रहते सहायता मिल सके।