गाजीपुर: माँ आशा तारा फाउंडेशन के नेतृत्व में राम कथा का भव्य आयोजन, डॉ. डी.पी. सिंह ने किया शुभारंभ

गाजीपुर में माँ आशा तारा फाउंडेशन द्वारा आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम का शुभारंभ समाजसेवी डॉ. डी.पी. सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती रीता सिंह ने किया, जिसमें श्रीराम कथा का गुणगान हुआ।

Sat, 05 Jul 2025 10:27:19 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

गाजीपुर: धर्म, संस्कार और समाज सेवा के समन्वय से जनपद गाजीपुर की पावन भूमि पर माँ आशा तारा फाउंडेशन के तत्वावधान में एक अलौकिक और आध्यात्मिक आयोजन का शुभारंभ हुआ। यह आयोजन न केवल धार्मिक है, बल्कि जनमानस के भीतर छिपे लोककल्याण के भाव को जागृत करने का एक भव्य प्रयास है।

कार्यक्रम का विधिवत आरंभ जनपद के सम्मानित समाजसेवी डॉ. डी.पी. सिंह एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रीता सिंह द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूजन, दीप प्रज्वलन और आरती के साथ हुआ। उन्होंने श्रद्धापूर्वक बाबा श्री विश्वनाथ का ध्यान करते हुए कथा प्रारंभ की, जिसके पश्चात सभी श्रद्धालुओं को अंगवस्त्र और भगवान शंकर की भव्य प्रतिमा भेंट स्वरूप दी गई।

कथा के प्रथम दिन व्यासपीठ पर विराजमान हुए श्री अनुज जी महाराज, जिनकी वाणी से निकले श्रीराम कथा के मंगलाचरण ने जैसे ही गूंज भरी, पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध हो गया।

"श्रीरामं कमलापतिं प्रियतमं धर्मस्य संस्थापकं।
धर्मे स्थितं सत्यनिष्ठं कृपावन्तं जगतां पतिम्॥"

महाराज जी ने बालकांड के प्रेरक प्रसंगों से कथा आरंभ की। राजा दशरथ के संकल्प, रानियों की तपस्या, तथा कौशलपुरी में ब्रह्मांड को कल्याण देने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्राकट्य का भावमय वर्णन किया गया।

उन्होंने कथा के दौरान समझाया कि भगवान राम कोई साधारण राजा नहीं, बल्कि धर्म के मूर्त रूप हैं। उनका जीवन सिखाता है कि कर्तव्य और मर्यादा का पालन ही सच्चा धर्म है।

"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।"

इस श्लोक के माध्यम से अनुज जी महाराज ने बताया कि श्रीराम ने राजमहलों का त्याग कर वनगमन इसलिए स्वीकार किया क्योंकि उनके लिए मातृभूमि और वचनबद्धता सर्वोपरि थी। उन्होंने श्रोताओं से कहा कि हमें भी अपने जीवन में राम के जैसे आचरण, त्याग और आदर्श अपनाने चाहिए।

श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करने वाला एक और प्रसंग तब आया जब महाराज जी ने ताड़का वध के समय श्रीराम के मन में उठी करुणा का भाव प्रस्तुत किया—
"शरणागत वत्सल धर्मज्ञ रामो दयालु: सदा रक्षकोऽस्माकम्।"

उन्होंने कहा कि राम केवल राक्षसों का संहार नहीं करते, वे प्रत्येक जीव में परमात्मा को देखने वाले दयालु पुरुष हैं। यही कारण है कि वह अपने शत्रु के प्रति भी सहानुभूति रखते हैं।

कथा में शामिल श्रद्धालु, जिनमें डी.एन. राय, निशा राय, रूपाली सिंह, अजय आनंद, अंजना राय, रेखा सिंह, प्रियंका बिंद, विक्रांत राय, विष्णुकांत उपाध्याय, शिवम् पांडेय, अमित जसवाल, महेंद्र यादव, विपुल पांडेय, अमरेंद्र ओझा सहित अन्य लोग सम्मिलित रहे, सभी ने गहरी तल्लीनता से कथा श्रवण किया।

कार्यक्रम के विशेष अतिथि भाजपा जिला अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश राय ने श्री अनुज जी महाराज को सम्मानित करते हुए कहा कि, “ऐसे धार्मिक आयोजनों से ही समाज में आत्मिक शांति और नैतिक बल की स्थापना होती है।”

श्रीमती रीता सिंह ने महिलाओं की ओर से कार्यक्रम की नियमित व्यवस्था में सहभागिता निभाई और हर दिन पूजन सामग्री, फूल-मालाएं, तथा जरूरतमंद सामग्री श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उठाई।

डॉ. डी.पी. सिंह ने अपने छोटे भाई डी.के. ओझा को सामाजिक प्रेरणा का स्रोत बताते हुए कहा कि वह सदैव हर धार्मिक व लोकसेवा के कार्य में साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने मंच से कहा कि धर्म और समाजसेवा एक दूसरे के पूरक हैं, और रामकथा इसका सजीव उदाहरण है।

5 जुलाई को कथा का दूसरा दिन और भी विशेष होगा, जिसमें मुख्य यजमानों की सहभागिता और अधिक बढ़ेगी। सभी भक्तों से आग्रह किया गया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लें और इसे अपने जीवन में आत्मसात करें।

यह श्रीरामकथा एक धार्मिक आयोजन भर नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए धर्म, सेवा और संस्कार की शिक्षा देने वाली अमृतवाणी है, जो आने वाले दिनों में भी जनमानस को राममय करती रहेगी।

अनुज जी महाराज ने हमारे संवाददाता से कहा कि,“रामकथा केवल कथा नहीं, वह जीवन की गाथा है। जो इसे सुनता है, उसके हृदय में करुणा, धर्म और प्रेम स्वतः प्रवाहित होने लगते हैं।”

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