Thu, 21 Aug 2025 11:47:46 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के छात्र नेता सूर्या और उनके तीन साथियों के लिए तीर्थयात्रा का सफर किसी भयावह हादसे में बदल सकता था। दरअसल, गूगल मैप के सहारे आगे बढ़ते हुए उनकी कार अचानक पानी से भरे गहरे गड्ढे में समा गई। गनीमत रही कि चारों युवकों ने सूझबूझ दिखाते हुए खुद को सुरक्षित बाहर निकाल लिया और किसी बड़ी त्रासदी से बच गए।
मामला सहारनपुर से अंबाला की ओर जाने वाले मार्ग का है। सूर्या अपने साथी आदित्य, अनुज और आशुतोष के साथ बुधवार को अंबाला के शाहबाद स्थित महर्षि मार्कंडेय मंदिर दर्शन के लिए निकले थे। सहारनपुर से निकलने के बाद उन्होंने गूगल मैप पर लोकेशन डाली और उसी के बताए निर्देशों पर कार आगे बढ़ा दी। कार चला रहे आदित्य ने बताया कि सिरोही पैलेस से कुछ दूरी आगे जैसे ही उन्होंने मैप के बताए मोड़ पर गाड़ी घुमाई, अचानक वाहन पानी से भरे गहरे गड्ढे में जा गिरा। पल भर में कार का अगला हिस्सा डूब गया और देखते ही देखते पूरी गाड़ी पानी में समा गई।
स्थिति बेहद खतरनाक हो चुकी थी, लेकिन कार में बैठे चारों युवकों ने संयम नहीं खोया। उन्होंने तुरंत कार के दरवाजे खोलने की कोशिश की और किसी तरह बाहर निकलने में सफल रहे। बाहर निकलने के बाद सभी ने कार की छत पर चढ़कर मदद के लिए शोर मचाया। उनकी आवाज सुनकर आसपास से गुजर रहे लोग और पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे। काफी मशक्कत और सतर्कता से चारों युवकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। बाद में ट्रैक्टर की मदद से डूबी हुई कार को भी बाहर खींचा गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रास्ते पर बारिश के बाद अक्सर जलभराव हो जाता है और गहरे गड्ढों का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। ऐसे में बिना जानकारी के यहां से गुजरना बेहद जोखिमभरा साबित हो सकता है। पुलिस ने भी घटना के बाद वहां से गुजरने वाले अन्य वाहनों को सतर्क किया और मौके पर सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाए।
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब गूगल मैप पर भरोसा करने से लोग मुश्किल में फंसे हों। इससे पहले भी कई बार वाहन चालक गलत रास्ते पर चले गए हैं, जिसके चलते दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जीपीएस तकनीक सहूलियत तो देती है, लेकिन पूरी तरह उसी पर निर्भर होना खतरनाक हो सकता है। ड्राइविंग के दौरान स्थानीय लोगों से रास्ते की जानकारी लेना और सतर्क रहना जरूरी है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि डिजिटल मानचित्रों पर आंख मूंदकर भरोसा करना कितना सुरक्षित है। सूर्या और उनके साथियों का बच जाना एक राहत की खबर है, लेकिन यह हादसा दूसरों के लिए एक चेतावनी भी है कि तकनीक के साथ-साथ मानवीय विवेक का इस्तेमाल करना भी उतना ही अहम है।