Thu, 18 Dec 2025 19:17:05 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
चंदौली: पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर बृहस्पतिवार को वन्यजीव तस्करी का एक गंभीर मामला सामने आया, जब जीआरपी की सतर्कता से प्लेटफार्म परिसर में लावारिस हालत में रखे गए बोरे और पिट्ठू बैग से कुल 80 कछुए बरामद किए गए। तस्करों ने कछुओं को कपड़ों के बीच छिपाकर रखा था, ताकि सुरक्षा जांच से बचा जा सके, लेकिन जीआरपी की मुस्तैदी ने इस प्रयास को नाकाम कर दिया।
पीडीडीयू जीआरपी के प्रभारी निरीक्षक सुनील कुमार सिंह ने बताया कि स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नियमित गश्त की जा रही थी। इसी दौरान बृहस्पतिवार दोपहर प्लेटफार्म संख्या तीन और चार के बीच चार बोरे और एक पिट्ठू बैग लावारिस हालत में नजर आए। संदेह होने पर आसपास मौजूद यात्रियों से पूछताछ की गई, लेकिन किसी ने भी इन बैगों पर अपना दावा नहीं किया। परिस्थितियों को देखते हुए जब एक बोरा खोलकर जांच की गई, तो उसके भीतर जीवित कछुए मिले।
अधिक गहन जांच में सामने आया कि पिट्ठू बैग के ऊपर पहनने वाले कपड़े रखे गए थे, जबकि अंदर बोरे में कछुओं को छिपाया गया था। सभी संदिग्ध सामान को जीआरपी थाने लाकर गिनती कराई गई, जिसमें कुल 80 कछुओं की पुष्टि हुई। इसके बाद तत्काल वन विभाग को सूचना दी गई।
सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम जीआरपी थाने पहुंची और सभी कछुओं को अपने कब्जे में ले लिया। प्रभारी निरीक्षक सुनील कुमार सिंह ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी कछुओं को सारनाथ स्थित कछुआ सेंचुरी में सुरक्षित रूप से छोड़े जाने की कार्रवाई करेंगे। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कछुओं को कहां से लाया गया था और उन्हें किस गंतव्य तक ले जाया जा रहा था।
प्रारंभिक जांच में आशंका जताई जा रही है कि तस्कर उत्तराखंड या गंगा के तटवर्ती इलाकों से कछुओं को एकत्र कर पश्चिम बंगाल की ओर ले जा रहे थे। संभावना है कि ट्रेन बदलने के उद्देश्य से पीडीडीयू जंक्शन पर उतरे तस्कर जांच की भनक लगते ही कछुओं से भरे बोरे और बैग छोड़कर फरार हो गए। जीआरपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्टेशन परिसर और प्लेटफार्मों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ताकि तस्करों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जा सके।
यह कार्रवाई न केवल वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, बल्कि रेलवे परिसर में सुरक्षा व्यवस्था की प्रभावशीलता को भी दर्शाती है। जीआरपी और वन विभाग के समन्वय से कछुओं की जान बच सकी, वहीं तस्करी के इस नेटवर्क को बेनकाब करने की दिशा में जांच आगे बढ़ाई जा रही है।