Thu, 18 Sep 2025 11:23:40 - By : Garima Mishra
वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय के सिविल जज कोर्ट में आज ज्ञानवापी मूलवाद से जुड़ी सुनवाई निर्धारित थी, लेकिन मामले की सुनवाई टल गई। इस मामले में वादमित्र को हटाने और नए पक्षकार को लेकर दोनों पक्षों को अपनी दलीलें रखनी थीं, लेकिन सुनवाई आगे नहीं बढ़ सकी। अब अदालत ने अगली तिथि 20 सितंबर तय की है।
इससे पहले, पिछली पेशी पर हरिहर पांडेय की बेटियों की ओर से अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने बहस की थी। उन्होंने दलील दी थी कि प्रार्थना पत्र पर आपत्तियां दर्ज होनी बाकी थीं और बिना पूरी प्रक्रिया के अर्जी को निरस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह विधि के अनुरूप नहीं था। साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि वाद मित्र एक निजी ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारी हैं, जबकि काशी विश्वनाथ मंदिर का उस ट्रस्ट से कोई संबंध नहीं है। इसी मुद्दे पर आज सुनवाई होनी थी, जो अब 20 सितंबर को होगी।
इसी तारीख को अदालत हरिहर पांडेय के निधन के बाद उनकी बेटियों मणिकुंतला तिवारी, नीलिमा मिश्रा और रेनू पांडेय की ओर से दाखिल रिवीजन याचिका पर भी विचार करेगी। तीनों बहनों ने खुद को इस मामले में पक्षकार बनाने की मांग की है। इसके अलावा अधिवक्ता अनुष्का तिवारी द्वारा दाखिल एक अन्य प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई निर्धारित की गई है।
ज्ञानवापी विवाद के पुराने मामले में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी को हटाने से संबंधित अर्जी पर भी बहस 20 सितंबर को होगी। इसके अलावा एक स्थानांतरण आवेदन पर दायर पुनर्विचार याचिका पर भी अदालत सुनवाई करेगी। अधिवक्ता अनुष्का तिवारी ने यह आवेदन दाखिल किया है, जबकि वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने लगातार इसके विरोध में आपत्ति दर्ज की है। पहले जिला जज ने इस स्थानांतरण संबंधी आवेदन को खारिज कर दिया था, लेकिन आदेश के बाद नए तथ्य और दस्तावेज सामने आए हैं।
इन दस्तावेजों में विभिन्न तीर्थस्थलों के महंतों, पुजारियों और अनेक भक्तों द्वारा दिए गए हलफनामे भी शामिल हैं। यह मूल वाद एक जनहित याचिका के रूप में स्वर्गीय पंडित सोमनाथ व्यास, प्रोफेसर रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय द्वारा दाखिल किया गया था। मामला सिविल जज सीनियर डिवीजन (एफटीसी) न्यायालय में लंबित है और इसमें भगवान विश्वेश्वर के प्रति जनता की आस्था और भावनाओं का सीधा संबंध बताया जाता है।
वहीं, तीन बहनों के पक्षकार बनाए जाने के आवेदन पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से अधिवक्ता रईस अहमद और एखलाक अहमद ने आपत्ति दर्ज की थी। उन्होंने कहा कि वादमित्र को लेकर उनकी कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हरिहर पांडेय की पुत्रियों को पक्षकार बनाए जाने का आवेदन पहले भी पांच बार खारिज हो चुका है। अदालत ने 11 जुलाई को भी बेटियों का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया था। अब अदालत 20 सितंबर को सभी अर्जियों पर अगली सुनवाई करेगी।