Fri, 26 Dec 2025 13:51:12 - By : Pradyumn Kant Patel
हस्तिनापुर को श्रापित भूमि बताने वाले बयान को लेकर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। हस्तिनापुर से विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के बयान से भारतीय जनता पार्टी ने खुद को अलग कर लिया है जबकि विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर तीखा हमला शुरू कर दिया है। भाजपा का स्पष्ट कहना है कि हस्तिनापुर कोई श्रापित भूमि नहीं है और मंत्री का यह वक्तव्य उनका निजी विचार है।
भाजपा की ओर से यह भी कहा गया है कि आगामी चुनावों को लेकर पार्टी के पास कई विकल्प मौजूद हैं। क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेंद्र सिसोदिया ने दो टूक कहा कि दिनेश खटीक का बयान पार्टी की आधिकारिक राय नहीं है और अभी तक मंत्री की ओर से चुनाव न लड़ने को लेकर कोई औपचारिक आग्रह भी नहीं आया है। वहीं जिलाध्यक्ष हरवीर पाल ने भी इसे व्यक्तिगत बयान बताते हुए पार्टी को इससे अलग रखा।
इस बीच विपक्षी नेताओं ने बयान को लेकर आक्रामक रुख अपना लिया है। हस्तिनापुर के पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने घोषणा की है कि वह शुक्रवार दोपहर दो बजे हस्तिनापुर के पांडव टीले पर पत्रकार वार्ता करेंगे। उनका कहना है कि इस बयान से न केवल क्षेत्र की ऐतिहासिक गरिमा को ठेस पहुंची है बल्कि यहां के बुजुर्गों और आम जनता का भी अपमान हुआ है। उन्होंने कहा कि जिस धरती ने किसी को दो बार विधायक और मंत्री बनाया उसी को श्रापित बताना दुर्भाग्यपूर्ण है।
राजनीतिक बयानबाजी यहीं नहीं रुकी। हस्तिनापुर के पूर्व विधायक गोपाल काली ने भी खटीक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्षों तक क्षेत्र का दोहन करने के बाद अब उसी भूमि को दोषी ठहराया जा रहा है। समाजवादी पार्टी के नेता मुखिया गुर्जर ने हस्तिनापुर को पूज्य भूमि बताते हुए कहा कि यह द्वापर युग की राजधानी रही है और ऐसे बयान कर्मों का परिणाम होते हैं।
उधर दिनेश खटीक अपने बयान पर कायम हैं। उनका कहना है कि उन्होंने जो कहा वह उनकी अंतरात्मा की आवाज है। हालांकि पार्टी के रुख और विपक्ष के तीखे हमलों के बीच यह मुद्दा अब स्थानीय राजनीति से निकलकर प्रदेश स्तर की बहस बनता जा रहा है।