प्रयागराज: हाईकोर्ट से अब्बास अंसारी को बड़ी राहत, सदस्यता बहाली का रास्ता साफ, नहीं होगा उपचुनाव

हाईकोर्ट ने हेट स्पीच मामले में अब्बास अंसारी की दो साल की सजा पर रोक लगाई, उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल होगी।

Wed, 20 Aug 2025 18:31:48 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की सियासत से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है। बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर विधानसभा सीट से विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हेट स्पीच मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट, मऊ द्वारा सुनाई गई दो साल की सजा पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस फैसले से अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो गया है और मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की संभावना भी खत्म हो गई है।

हाईकोर्ट का यह निर्णय अब्बास अंसारी के राजनीतिक जीवन के लिए अहम माना जा रहा है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान अब्बास अंसारी पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन और नफरती भाषण देने का आरोप लगाया गया था। शहर कोतवाली, मऊ में एसआई गंगाराम बिंद की तहरीर पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप था कि तीन मार्च 2022 को चुनाव प्रचार के दौरान पहाड़पुर मैदान में हुई एक जनसभा में उन्होंने कथित रूप से अधिकारियों को चुनाव बाद "हिसाब किताब चुकता करने"और “सबक सिखाने” की धमकी दी थी।

मामला अदालत तक पहुंचा और विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट, मऊ ने उन्हें दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने माना था कि अब्बास अंसारी ने विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने और सरकारी सेवकों को धमकाने का अपराध किया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता स्वतः समाप्त हो गई थी और मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई थी।

अब्बास अंसारी ने इस फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इससे पहले उन्होंने विशेष अपर सत्र न्यायाधीश के समक्ष सजा स्थगित करने का आवेदन किया था, जिसे पांच जुलाई को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद हाईकोर्ट में दाखिल क्रिमिनल रिवीजन पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से अब्बास अंसारी को न सिर्फ तत्काल राहत मिली है बल्कि यह उनके राजनीतिक करियर के लिए भी बड़ी जीत है। हालांकि मुकदमे की आगे की सुनवाई अभी बाकी है, लेकिन फिलहाल उनकी सदस्यता बहाल हो जाने से विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व जारी रहेगा।

इस बीच, मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की चर्चाओं पर विराम लग गया है। सपा समर्थक इस फैसले को न्याय की जीत बता रहे हैं, जबकि विपक्ष इस पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहा है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में अदालत में यह मामला किस दिशा में जाता है।

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