Wed, 25 Jun 2025 19:57:15 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: आईआईटी (बीएचयू) ने बीटेक सत्र 2025-26 के लिए अपना शैक्षणिक कैलेंडर जारी कर दिया है। इस बार जेईई एडवांस्ड परीक्षा में चयनित विद्यार्थियों के लिए कक्षाएं 1 अगस्त से शुरू हो रही हैं। इससे पहले संस्थान में दाखिले की ऑनलाइन प्रोफाइल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 21 जुलाई से शुरू होकर 24 जुलाई तक चलेगी। स्पष्ट किया गया है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर ऑनलाइन प्रोफाइल रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर प्रवेश मान्य नहीं होगा।
संस्थान की ओर से बताया गया कि 21 से 23 जुलाई के बीच छात्र-छात्राओं को हॉस्टल में रिपोर्ट करना होगा। इस दौरान बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन भी किया जाएगा। 24 जुलाई को सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक फिजिकल रजिस्ट्रेशन और ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। उसी दिन शाम 5 बजे तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की अंतिम समयसीमा निर्धारित की गई है। इसके बाद प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह बंद हो जाएगी।
इसी दिन से छह दिवसीय इंडक्शन कार्यक्रम की शुरुआत भी की जाएगी, जो 30 जुलाई तक चलेगा। इसमें विद्यार्थियों को संस्थान की कार्यप्रणाली, पाठ्यक्रम, तकनीकी परिवेश और नवाचार की संस्कृति से परिचित कराया जाएगा। यह कार्यक्रम नए छात्रों को आईआईटी के माहौल से समायोजित करने में सहायक सिद्ध होता है।
इस बीच, जेईई एडवांस्ड परीक्षा 2025 की काउंसिलिंग प्रक्रिया जारी है। पहले राउंड की काउंसिलिंग में आईआईटी बीएचयू के लोकप्रिय ब्रांच कंप्यूटर साइंस के लिए जनरल श्रेणी में कटऑफ रैंक 704 से 1350 तक गई है। वहीं, फार्मास्यूटिकल इंजीनियरिंग की जनरल श्रेणी में कटऑफ रैंक 11300 से 12976 के बीच रही, जो सभी शाखाओं में सबसे अंतिम रही।
इसी क्रम में शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा में दक्ष बनाने के उद्देश्य से मंगलवार से आईआईटी बीएचयू के प्रिसिजन इंजीनियरिंग हब में एआईसीटीई द्वारा प्रायोजित क्यूआईपी-पीजी प्रमाणन कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। यह कार्यक्रम छह महीने तक चलेगा और इसका उद्देश्य शिक्षकों को इंडस्ट्री 4.0 की अवधारणाओं, जैसे IoT, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमेशन, और नई तकनीकों से प्रशिक्षित करना है।
देशभर के 9 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कुल 36 फैकल्टी सदस्यों ने इसमें भाग लिया है, जिनमें से 25 पीएचडी धारक हैं और इलेक्ट्रिकल व मेकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे विषयों में विशेषज्ञता रखते हैं। कार्यक्रम का संचालन आईआईटी बीएचयू के आठ विशेषज्ञ शिक्षक कर रहे हैं। इसका पूर्ण शीर्षक है - “IoT और मैन्युफैक्चरिंग: विधियां, प्रक्रियाएं, अनुप्रयोग और तकनीकें।”
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक प्रो. एन. के. मुखोपाध्याय ने कहा कि भारत को औद्योगिक क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वहीं, डीआरडीओ के नोडल अधिकारी डॉ. तपस कुमार नंदी ने बताया कि तकनीक की सहायता से एकेडमिक और इंडस्ट्री के बीच की दूरी को कम किया जा सकता है। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपने शिक्षण कार्यों को देश की रणनीतिक अनुसंधान प्राथमिकताओं से जोड़ें।
डॉ. जीएम कार्तिक ने कार्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शिक्षकों को न केवल तकनीकी कौशल प्रदान करेगा, बल्कि वे अपने छात्रों को भी डिजिटल लर्निंग में दक्ष बना पाएंगे। इस तरह, यह कार्यक्रम न केवल शिक्षकों के लिए बल्कि उनके माध्यम से पूरे तकनीकी शिक्षण समुदाय के लिए एक सशक्त परिवर्तनकारी पहल साबित होगा।
आईआईटी बीएचयू की यह दोहरी पहल, जहां एक ओर छात्र-छात्राओं के लिए समयबद्ध, सुव्यवस्थित शैक्षणिक प्रारंभ की योजना है, वहीं दूसरी ओर फैकल्टी के लिए अत्याधुनिक डिजिटल सशक्तिकरण की व्यवस्था। यह दर्शाता है कि संस्थान अकादमिक गुणवत्ता और तकनीकी नेतृत्व को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।