वाराणसी: IIT-BHU गैंगरेप केस में अहम सुनवाई, चश्मदीद दोस्त से तीखी जिरह

वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में IIT-BHU गैंगरेप केस की अहम सुनवाई हुई, जहाँ चश्मदीद दोस्त से आधे घंटे तीखी जिरह हुई।

Wed, 26 Nov 2025 20:22:44 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: आज फास्ट ट्रैक कोर्ट में बुधवार का दिन IIT-BHU गैंगरेप केस की सुनवाई में बेहद निर्णायक साबित हुआ, जब पीड़ित छात्रा के दोस्त जो इस मामले का एकमात्र चश्मदीद गवाह है, से आधे घंटे से अधिक देर तक तीखी जिरह हुई। अभियोजन पक्ष की गवाही पूरी होने के बाद बचाव पक्ष ने दोस्त के बयान पर सवाल उठाते हुए उस रात के पूरे घटनाक्रम को फिर से परत-दर-परत खोलने की कोशिश की। अदालत में माहौल उस वक्त और तनावपूर्ण हो गया, जब आरोपी आनंद चौहान के वकील ने तेजी से एक के बाद एक कई सवाल दागने शुरू किए, जिनका जवाब देते समय गवाह को बार-बार उस भयावह रात की यादों से गुजरना पड़ा।

जिरह के दौरान वकील ने घटनास्थल की दिशा, अंधेरा, दूरी, इलाके की स्थिति और आरोपियों की पहचान जैसे बिंदुओं पर विशेष जोर दिया। रात के अंधेरे में आरोपियों को पहचानने की संभावना पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि हुलिये के आधार पर की गई पहचान संदेह से परे नहीं है। इसके साथ ही वकील ने यह भी पूछा कि पीड़िता और उसका दोस्त उस रात सुनसान इलाके में आखिर क्यों गए। गवाह ने अपने बयान में साफ शब्दों में कहा कि पूरी घटना उसकी आंखों के सामने हुई और आरोपियों ने छात्रा के कपड़े उतारकर उससे दरिंदगी की थी। इस दौरान कोर्ट रूम में मौजूद सभी लोग गवाह की भावनात्मक स्थिति को महसूस कर सके।

हालांकि जिरह पूरी नहीं हो सकी। समय की सीमा और तथ्यों की गंभीरता को देखते हुए आरोपी आनंद चौहान के वकील ने अतिरिक्त समय की मांग की, जिसे स्वीकार करते हुए जज कुलदीप सिंह ने अगली सुनवाई की तारीख 4 दिसंबर तय कर दी। अब इसी दिन बचाव पक्ष गवाह से बाकी सवाल पूछेगा और अपने बचाव में दलीलें भी पेश करेगा। इस केस की गंभीरता और जिरह की रफ्तार को देखते हुए माना जा रहा है कि चश्मदीद का यह बयान ही आरोपियों के भविष्य और सज़ा निर्धारण का सबसे महत्वपूर्ण आधार बन सकता है।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि पीड़िता का यही दोस्त वह व्यक्ति है जिसे घटना की रात एक आरोपी ने पकड़ लिया था और उसके बाद उसके सामने ही छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। पुलिस ने भी अपनी विवेचना में इसी गवाह को सबसे अहम बताया है। बचाव पक्ष के वकीलों का मानना है कि दोस्त की गवाही के बाद केस का रुख बदला है और अब वे गवाह के बयानों में विरोधाभास ढूंढने की कोशिश करेंगे। उधर अभियोजन पक्ष को उम्मीद है कि गवाह की स्पष्ट गवाही से आरोपियों को सज़ा दिलाने में आसानी होगी।

4 दिसंबर की अगली तारीख पर अदालत में तत्कालीन लंका इंस्पेक्टर यानी विवेचक के बयान भी दर्ज किए जाएंगे, जिसके बाद इस बहुचर्चित मामले में बहस शुरू हो जाएगी। अगर सुनवाई की रफ्तार ऐसी ही बनी रही तो आने वाले महीनों में फैसला आने की संभावना है।

पीड़िता से जिरह करने का मौका गंवाया, चार बार बुलाने पर भी पेश नहीं हुए वकील
IIT-BHU की छात्रा के साथ 31 अक्टूबर 2023 की रात हुए इस जघन्य अपराध में पीड़िता ने पुलिस और अदालत दोनों में अपने विस्तृत बयान दर्ज कराए थे। 22 अगस्त 2024 को कोर्ट में पहली बार उसने गवाही दी, जिसमें उसने अपने दोस्त को चश्मदीद बताया। लेकिन इससे पहले आरोपियों के वकील चार बार भी अदालत के बुलावे के बाद पीड़िता से जिरह नहीं कर पाए। पिछली तारीख पर छात्रा कोर्ट भी आई और जज ने वर्चुअल पेशी का अवसर भी दिया, लेकिन फिर भी बचाव पक्ष ने स्थगन की मांग कर दी। जज ने इसे अस्वीकार कर दिया और इसके बाद पीड़िता से जिरह का अवसर समाप्त कर दिया।

इस पूरे मामले में शामिल तीनों आरोपी आनंद चौहान, कुणाल और सक्षम पटेल की जमानत प्रक्रिया ने भी कई बार सुर्खियां बटोरी हैं। आनंद ने 11 नवंबर 2023 को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी और 2 जुलाई 2024 को उसे शर्तों के साथ जमानत मिल गई।
उसी दिन दूसरे आरोपी कुणाल ने भी जमानत याचिका दी और 4 जुलाई को उसे भी जमानत मिल गई, हालांकि वेरिफिकेशन के चलते उसकी रिहाई 24 अगस्त को हो सकी।
सक्षम पटेल को भी गैंगरेप में जमानत मिली, लेकिन गैंगस्टर एक्ट में आपत्ति के चलते उसकी जमानत खटाई में पड़ गई। बाद में पुलिस की कमजोर रिपोर्ट और खंडपीठ के निर्देशों के बाद उसे भी राहत मिल गई।

तीनों आरोपी उस समय भाजपा IT सेल से जुड़े हुए थे और कई बड़े नेताओं के सम्पर्क में होने की बात भी सामने आई थी, जिसके चलते यह केस शुरू से ही चर्चा में रहा है।

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