Sun, 02 Nov 2025 11:21:47 - By : Garima Mishra
सर्दियों के आगमन के साथ ही देश की हवा एक बार फिर जहरीली होती जा रही है। राजधानी दिल्ली समेत देश के कई बड़े शहरों में सुबह की शुरुआत अब ताजी हवा से नहीं बल्कि धुंध और धुएं के मिश्रण से हो रही है। वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है, जिससे सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण अब एक साइलेंट किलर बन चुका है जो हर साल लगभग 20 लाख लोगों की जान ले रहा है। यह आंकड़ा न केवल डराने वाला है बल्कि यह देश के स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए गंभीर खतरे की चेतावनी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रदूषण का स्तर WHO के मानक से करीब 10 गुना अधिक है। बीते वर्ष भारत चार बार दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों की सूची में टॉप 5 में शामिल रहा है। शोध बताते हैं कि 2023 में हर आठ में से एक मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई है। वैश्विक स्तर पर प्रदूषित हवा से हर साल लगभग 79 लाख लोगों की जान जा रही है, जिनमें से 20 लाख मौतें भारत में होती हैं। दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण के चलते लोगों की औसत आयु लगभग 8.2 वर्ष तक घटने का अनुमान है, जबकि पूरे भारत में यह औसतन 3.5 वर्ष कम हो रही है।
देश में बढ़ते प्रदूषण की मुख्य वजह औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों से निकलने वाला धुआं और पराली जलाना है। रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण में 51 प्रतिशत योगदान उद्योगों से निकलने वाले धुएं का है। इसके बाद 27 प्रतिशत प्रदूषण वाहनों के कारण और 17 प्रतिशत पराली जलाने से होता है। इसके अलावा घरेलू प्रदूषण और निर्माण कार्यों से भी वातावरण में कणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है। सरकार और स्थानीय प्रशासन इस दिशा में कदम तो उठा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए और सख्त नीति, तकनीकी सुधार और जनजागरूकता की जरूरत है।
वायु प्रदूषण का प्रभाव केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे शरीर पर असर डालता है। चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रदूषित हवा में लंबे समय तक सांस लेने से दिल की बीमारियां, हार्ट स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, लिवर और डायबिटीज जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए यह और भी खतरनाक साबित हो रहा है, जिससे समयपूर्व प्रसव या गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, बच्चों और बुजुर्गों में सांस से जुड़ी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। खराब हवा में मौजूद कण मस्तिष्क पर भी असर डालते हैं, जिससे डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए तो भारत की आबादी को और गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है। वायु प्रदूषण से न केवल जीवन की गुणवत्ता घट रही है बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी भारी दबाव डाल रहा है। इस साइलेंट किलर से निपटने के लिए सरकार, उद्योग और जनता सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी ताकि भविष्य की पीढ़ियां स्वच्छ और सुरक्षित हवा में सांस ले सकें।