Thu, 14 Aug 2025 16:30:45 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
कोलकाता: भारतीय हॉकी के सुनहरे इतिहास के चमकते सितारे और खेल चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी, डॉ. वेसे पेस का 14 अगस्त 2025 को कोलकाता में 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से पार्किंसन रोग से जूझ रहे थे और बीते दिनों स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के चलते अस्पताल में भर्ती थे। परिवार और खेल जगत के सूत्रों ने उनके निधन की पुष्टि की है।
डॉ. पेस का जन्म 30 अप्रैल 1945 को गोवा में हुआ था। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में वे भारत की कांस्य पदक विजेता हॉकी टीम के अहम मिडफील्डर रहे। इसके अलावा 1971 के बार्सिलोना हॉकी विश्व कप में भी उन्होंने कांस्य पदक जीतने वाली टीम का प्रतिनिधित्व किया। मैदान पर उनके खेल की निपुणता, फिटनेस और रणनीतिक दृष्टि ने उन्हें उस दौर का सर्वश्रेष्ठ मिडफील्डर बना दिया।
मंगलवार, 12 अगस्त को उन्हें कोलकाता के वुडलैंड्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें निचले श्वसन मार्ग और पाचन तंत्र में संक्रमण हो गया था, जिससे उनकी हालत बिगड़ती गई और मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन की स्थिति उत्पन्न हो गई। चिकित्सकों के प्रयासों के बावजूद गुरुवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
सक्रिय खेल-कैरियर के बाद डॉ. पेस ने खेल चिकित्सा में अमूल्य योगदान दिया। वे एशियन क्रिकेट काउंसिल, बीसीसीआई, भारतीय डेविस कप टीम और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के लिए स्पोर्ट्स मेडिसिन कंसल्टेंट रहे। उन्होंने खिलाड़ियों की फिटनेस, प्रदर्शन सुधार और एंटी-डोपिंग के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल कीं। उनके मार्गदर्शन में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों ने अपने खेल में नई ऊँचाइयों को छुआ।
खेल प्रशासन में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा। वे इंडियन रग्बी फुटबॉल यूनियन के अध्यक्ष (1996-2002) और कोलकाता क्रिकेट एंड फुटबॉल क्लब के प्रमुख रहे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. पेस ने हॉकी के अलावा फुटबॉल, क्रिकेट और रग्बी में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
उनका पारिवारिक जीवन भी खेल से गहराई से जुड़ा रहा। उनकी पत्नी, जेनिफर पेस, भारतीय महिला बास्केटबॉल टीम की पूर्व कप्तान रही हैं। उनके बेटे, लिएंडर पेस, भारत के सबसे सफल टेनिस खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। 18 ग्रैंड स्लैम खिताब और 1996 अटलांटा ओलंपिक में पुरुष एकल वर्ग में कांस्य पदक जीत चुके हैं। पिता-पुत्र की यह जोड़ी भारतीय खेल इतिहास में दुर्लभ है, जिन्होंने अलग-अलग खेलों में ओलंपिक पदक हासिल किए।
डॉ. पेस के निधन के बाद लिएंडर पेस ने सोशल मीडिया पर भावुक संदेश लिखा, "पापा, आपने मुझे सिर्फ खेल नहीं, जीवन जीना सिखाया। आपका अनुशासन, आपकी ईमानदारी और आपका जुनून हमेशा मेरी ताकत रहेंगे। आपका आशीर्वाद हर पल मेरे साथ रहेगा।"
हॉकी इंडिया, अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ, अनेक पूर्व और मौजूदा खिलाड़ियों, और राजनीतिक नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया। हॉकी इंडिया ने उन्हें "भारतीय खेल का अटूट स्तंभ" बताया, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी।
परिवार के अनुसार, अंतिम संस्कार अगले सोमवार या मंगलवार को किया जाएगा, ताकि विदेश में रह रही उनकी बेटियां भी इसमें शामिल हो सकें। डॉ. वेसे पेस की विरासत न केवल उनके पदकों में है, बल्कि उन सैकड़ों खिलाड़ियों के जीवन में भी है जिन्हें उन्होंने प्रशिक्षित और प्रेरित किया। उनका जीवन और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा एक मार्गदर्शक की तरह रहेगा।