जौनपुर: दोहरे हत्याकांड में पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत सभी आरोपी बरी

जौनपुर के केराकत में 2010 में हुए संजय निषाद और नंदलाल निषाद के दोहरे हत्याकांड में विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत सभी आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है।

Thu, 03 Jul 2025 19:13:47 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

जौनपुर: केराकत/बेलांव गांव में वर्ष 2010 में हुए बहुचर्चित दोहरे हत्याकांड में करीब पंद्रह वर्षों के लंबे न्यायिक प्रक्रिया के बाद आखिरकार गुरुवार को विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने अपना फैसला सुनाया। इस फैसले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह सहित चारों आरोपियों को बरी कर दिया गया। न्यायालय ने साक्ष्यों के अभाव में इन सभी आरोपियों को दोषमुक्त किया।

आपको बताते चले कि यह मामला 1 अप्रैल 2010 का है, जब सुबह करीब 5:15 बजे बेलांव घाट बैरियर के पास टोल टैक्स के विवाद में संजय निषाद और नंदलाल निषाद की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस दोहरे हत्याकांड ने उस समय जिले भर में सनसनी फैला दी थी। इस मामले में पुलिस की ओर से आरोप लगाया गया था कि ठेकेदारी को लेकर चली आ रही रंजिश के चलते इस वारदात को अंजाम दिया गया था। घटना के बाद पुलिस ने तत्कालीन बाहुबली सांसद धनंजय सिंह के साथ-साथ तीन अन्य आशुतोष सिंह, पुनीत सिंह और सुनीत सिंह को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

मामले की सुनवाई विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही थी, जहां चारों आरोपियों के बयान पूर्व में दर्ज हो चुके थे। बयान के दौरान सभी आरोपियों ने स्वयं को निर्दोष बताया था और विशेष रूप से पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अदालत में यह कहा था कि उन्हें राजनीतिक द्वेष के तहत झूठे मामले में फंसाया गया है।

मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी (अपर जिला सरकारी अधिवक्ता) लाल बहादुर पाल ने कुल 20 गवाहों को पेश कर उनकी गवाही कराई। अभियोजन ने कोर्ट के समक्ष आरोपों को प्रमाणित करने के लिए विभिन्न दस्तावेज और गवाह प्रस्तुत किए, लेकिन कोर्ट ने सभी तथ्यों और गवाहों की गहन जांच-पड़ताल के बाद पाया कि प्रस्तुत साक्ष्य आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

गुरुवार को जब कोर्ट ने निर्णय सुनाया, तो अदालत परिसर में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। फैसले के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को भी बढ़ाया गया था। फैसला सुनाते हुए विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश ने कहा कि प्रस्तुत किए गए साक्ष्य आरोपियों की संलिप्तता को प्रमाणित नहीं कर सके, जिस कारण चारों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जा रहा है।

इस फैसले के बाद पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास था और आज न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि वह शुरू से ही निर्दोष थे और उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत इस प्रकरण में फंसाया गया था। वहीं, इस निर्णय के बाद पीड़ित पक्ष की ओर से अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

करीब डेढ़ दशक तक चले इस मामले में आये फैसले से जौनपुर की सियासी और कानूनी गलियारों में हलचल देखी जा रही है। हालांकि यह स्पष्ट है कि कोर्ट के इस फैसले से पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बड़ी राहत मिली है और उनके खिलाफ वर्षों से चला आ रहा एक अहम मामला अब समाप्त हो गया है।

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