Mon, 10 Nov 2025 11:00:14 - By : Palak Yadav
वाराणसी में स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा संस्थान आईएमएस में रविवार देर रात हिंसा की एक गंभीर घटना सामने आई। देर रात कुछ अज्ञात युवकों ने डेंटल फैकल्टी में कार्यरत एक जूनियर डॉक्टर की पिटाई कर दी, जिससे पूरे संस्थान में आक्रोश फैल गया। घटना की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टर मौके पर पहुंचे और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए चीफ प्रॉक्टर ऑफिस का घेराव किया।
घटना एलडी गेस्ट हाउस चौराहे के पास रुइया मेडिकल ब्लॉक के समीप की बताई जा रही है, जहां डॉक्टर और रेजिडेंट आमतौर पर रहते हैं। डॉ. ए. कारेकर ने चीफ प्रॉक्टर को लिखे पत्र में बताया कि रात करीब 10 बजकर 45 मिनट पर छह युवक मुंह बांधकर बाइक पर पहुंचे। उन्होंने पहले डॉक्टरों से नाम और संस्थान पूछा, और जैसे ही उन्हें पता चला कि वे आईएमएस से हैं, उन्होंने लाठी और डंडे से हमला कर दिया। अचानक हुए इस हमले से मौके पर अफरा-तफरी मच गई।
हमले की खबर फैलते ही रुइया हॉस्टल से करीब 100 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टर एकत्र होकर रात करीब 12 बजकर 15 मिनट पर चीफ प्रॉक्टर ऑफिस पहुंचे। वहां सुरक्षा कर्मियों ने पहले गेट बंद कर दिया, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया। कुछ देर बाद जब गेट खोला गया तो सभी रेजिडेंट अंदर घुसे और आरोपियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई की मांग पर अड़ गए। उनका कहना था कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे ठोस कदम उठाने को बाध्य होंगे।
रेजिडेंट डॉक्टरों ने बताया कि इस तरह की घटनाएं अब लगातार बढ़ रही हैं और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण डॉक्टर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि दो दिन पहले ही रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के बैनर तले कुलपति को आठ सूत्रीय मांगपत्र सौंपा गया था, जिसमें ड्यूटी के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई थी। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर हालात नहीं सुधरे तो किसी भी दिन गंभीर घटना हो सकती है, और रविवार की घटना ने उसी चिंता को सच साबित कर दिया।
इस बीच लंका थाना प्रभारी राजकुमार शर्मा ने बताया कि पिटाई की सूचना प्राप्त हुई है और तहरीर मिलने पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस टीम हमलावरों की पहचान में जुट गई है।
इस घटना ने एक बार फिर आईएमएस बीएचयू परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस जल्द ठोस कदम नहीं उठाती, तो वे अपनी सुरक्षा के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर होंगे।