Thu, 13 Nov 2025 13:17:19 - By : Palak Yadav
कानपुर में दवा कारोबार की आड़ में चल रहे अवैध नेटवर्क पर की गई कार्रवाई ने बड़े पैमाने पर अनियमितताओं को उजागर कर दिया है। मंगलवार को एफएसडीए टीम द्वारा शहर के कई प्रमुख दवा गोदामों पर की गई छापेमारी में कोडीन युक्त कफ सीरप और नारकोटिक्स श्रेणी की दवाओं के अवैध भंडारण और बिक्री का मामला सामने आया। इस कार्रवाई ने न केवल दवा कारोबारियों में हलचल मचा दी बल्कि प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारियों पर दोबारा नजर डालने के लिए मजबूर कर दिया। एफएसडीए आयुक्त रोशन जैकब के निर्देश पर यह संयुक्त कार्रवाई मेसर्स अग्रवाल ब्रदर्स, मेसर्स मेडिसिना हेल्थ केयर, मेसर्स मोसाइको एजेंसीज और मेसर्स वेदांस फार्मास्युटिकल्स के गोदामों पर की गई थी। टीम ने जब इन गोदामों में प्रवेश किया तो कई महत्वपूर्ण नियमों का उल्लंघन साफ दिखाई दिया। खासकर अग्रवाल ब्रदर्स के गोदाम में कोडीन आधारित दवाओं का भारी भंडार देख टीम के अधिकारी भी चौंक गए। यही नहीं, यहां प्रतिबंधित श्रेणी की दवाओं के साथ एक्सपायर स्टॉक भी बड़ी मात्रा में मिला था। यह स्पष्ट संकेत था कि दवाओं की रिकॉर्ड कीपिंग और स्टॉक मैनेजमेंट को जानबूझकर गड़बड़ किया गया था। जब टीम ने दस्तावेजों और खरीद बिक्री के अभिलेखों की जांच की तो वहां कोई भी रिकॉर्ड नहीं पाया गया। कंप्यूटर भी हटा दिया गया था जिससे यह संदेह और मजबूत हुआ कि व्यापार से जुड़े साक्ष्यों को छिपाने की कोशिश की गई थी।
छापेमारी के दौरान यह भी सामने आया कि मेडिसिना हेल्थ केयर और मोसाइको एजेंसीज जैसी अन्य फर्में भी इस नेटवर्क का हिस्सा थीं और कई लेनदेन अग्रवाल ब्रदर्स के साथ जुड़े हुए पाए गए। मोसाइको एजेंसीज का नाम पहले भी सामने आ चुका है जब कोडीन युक्त कफ सीरप की खरीद से संबंधित शिकायतें दर्ज की गई थीं। मंगलवार को यहां हुई जांच में भी कई गंभीर अनियमितताएं मिलीं। इससे यह साफ हो गया कि यह गतिविधि किसी एक कंपनी तक सीमित नहीं थी बल्कि कई कारोबारी मिलकर प्रतिबंधित दवाओं के अवैध वितरण का काम कर रहे थे। चारों फर्मों के विरुद्ध एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है। कानपुर में दवाओं की अवैध बिक्री और नशा आधारित दवाओं की बढ़ती उपलब्धता को देखते हुए यह कार्रवाई बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है और प्रशासनिक स्तर पर इसे एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इन दवाओं का इस्तेमाल अक्सर नशे के लिए किया जाता है और इनका अवैध व्यापार युवाओं को गलत दिशा में ले जाता है, इसलिए इस प्रकार की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी जरूरी है।
छापेमारी के बाद एफएसडीए के अंदर भी जिम्मेदारी तय करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। आयुक्त रोशन जैकब ने इस मामले में लापरवाही पाए जाने पर कानपुर मंडल के सहायक आयुक्त औषधि दिनेश कुमार तिवारी और कानपुर नगर की औषधि निरीक्षक रेखा सचान को उनके पदों से हटा दिया है। दोनों अधिकारियों को 11 नवंबर को हुई छापेमारी की कार्रवाई पूरी करने के बाद 17 नवंबर को मुख्यालय में योगदान देने के आदेश दिए गए हैं। अधिकारियों को हटाने के इस निर्णय को विभाग के अंदर एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि किसी भी स्तर पर ढिलाई या नजरअंदाज की गई गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन का मानना है कि ऐसी लापरवाही ही अवैध नेटवर्क को मजबूत बनाती है और समय पर कार्रवाई न होने के कारण प्रतिबंधित दवाओं की उपलब्धता बनी रहती है। यही कारण है कि विभाग ने अपने स्तर पर और भी कठोर कदम उठाने का संकेत दिया है।
इसके अलावा प्रशासन ने पहले से दर्ज मामलों की जांच को भी और सख्त कर दिया है। मेसर्स बालाजी मेडिकल्स, मेसर्स मां दुर्गा मेडिकोज, मेसर्स एएस हेल्थकेयर और मेसर्स आरएस हेल्थ केयर पर दर्ज की गई एफआईआर में भी अब एनडीपीएस एक्ट की धाराएं जोड़ने का निर्देश जारी किया गया है। यह निर्णय इस बात को ध्यान में रखते हुए लिया गया है कि अवैध दवा कारोबार को रोकने के लिए कानून के तहत उपलब्ध सभी प्रावधानों का इस्तेमाल किया जाए। अधिकारियों ने बताया कि कई दवा विक्रेताओं के बीच ऐसा नेटवर्क सक्रिय है जो कफ सीरप और अन्य नशा आधारित दवाओं को सामान्य दवाओं के साथ मिलाकर बेच देता है। इससे न केवल कानून का उल्लंघन होता है बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस पूरे मामले ने प्रशासन को दवा लाइसेंसिंग प्रक्रिया और निगरानी तंत्र को और मजबूत करने की दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया है। आने वाले दिनों में शहर के और भी गोदामों और मेडिकल स्टोर्स पर जांच अभियान चलाया जा सकता है।
इस कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि विभाग नशे से जुड़ी दवाओं की अवैध बिक्री पर कोई नरमी नहीं बरतना चाहता। लगातार बढ़ रही शिकायतों और चेन के रूप में चल रहे कारोबार को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि आगे भी बड़े स्तर पर छापेमारी और कानूनी कदम उठाए जाएंगे। एफएसडीए ने यह भी कहा है कि जिन चिकित्सा प्रतिष्ठानों पर भरोसा किया जाता है वहीं यदि कानून तोड़ने की गतिविधियां मिलेंगी तो सख्त कार्रवाई अनिवार्य होगी। कानपुर जैसे बड़े शहर में अवैध दवा कारोबार के खिलाफ यह एक निर्णायक कदम माना जा रहा है और इसका असर आने वाले समय में व्यापक स्तर पर दिखाई दे सकता है।