वाराणसी में साइबर ठगी का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां साइबर ठगों ने पुलवामा हमले का डर दिखाकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वाणिज्य संकाय के पूर्व प्रमुख और डीन रहे डॉक्टर गुलाब चंद्र जायसवाल को डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास किया। यह घटना रविवार दोपहर की है, जब डॉक्टर जायसवाल लाजपत नगर पार्क में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। इसी दौरान उनके मोबाइल फोन पर एक कॉल आई, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को लखनऊ एटीएस का प्रभारी बताते हुए कहा कि उनकी पत्नी डॉक्टर ऋचा जायसवाल के नाम से जारी मोबाइल सिम का इस्तेमाल पुलवामा आतंकी हमले में किया गया है और यह सिम पुणे से जारी हुआ है। इस बात से घबराए डॉक्टर जायसवाल को तुरंत घर लौटने के लिए कहा गया।
घर पहुंचते ही डॉक्टर जायसवाल को वीडियो कॉल आया, जिसमें पुलिस की वर्दी पहने एक व्यक्ति ने खुद को पुणे पुलिस का अधिकारी बताया और फोन पर बने रहने का दबाव बनाया। ठग ने गिरफ्तारी वारंट भेजने की धमकी दी और डर का माहौल बनाकर उनसे बैंक खातों और जमा धनराशि की जानकारी मांगने लगा। इसी दौरान उनकी पत्नी डॉक्टर ऋचा जायसवाल कॉलेज से घर लौटीं और उन्होंने डॉक्टर जायसवाल को घबराए हुए फोन पर बात करते देखा। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने तुरंत अपने पारिवारिक मित्र और उत्तर प्रदेश सरकार में स्टांप मंत्री रवींद्र जायसवाल से संपर्क किया।
पूरी जानकारी मिलते ही मंत्री रवींद्र जायसवाल ने स्पष्ट किया कि यह साइबर ठगी का मामला है और डॉक्टर जायसवाल को डिजिटल अरेस्ट किया गया है। उन्होंने सलाह दी कि डरने की जरूरत नहीं है और ठगों का डटकर सामना करें। मंत्री की बातों से हौसला पाकर डॉक्टर जायसवाल ने ठगों को साफ शब्दों में जवाब दिया, जिसके बाद साइबर ठगों ने कॉल काट दी और डिजिटल अरेस्ट की स्थिति समाप्त हो गई। इसके बाद दंपती ने सिगरा थाने में इस पूरे मामले की लिखित शिकायत दर्ज कराई।
डॉक्टर गुलाब चंद्र जायसवाल सिगरा क्षेत्र के त्रिदेव अपार्टमेंट में रहते हैं और वह पूर्व में अवध विश्वविद्यालय के कुलपति भी रह चुके हैं। उनकी पत्नी डॉक्टर ऋचा जायसवाल की सूझबूझ और समय पर लिए गए फैसले से यह बड़ी ठगी टल गई। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा कि देश में कहीं भी डिजिटल थाना या डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है और पुलिस कभी फोन या वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी नहीं करती। साइबर अपराधी लोगों को डर दिखाकर उनकी मेहनत की कमाई हड़पने की कोशिश करते हैं, इसलिए ऐसे मामलों में सतर्कता बेहद जरूरी है।
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि साइबर ठग किसी भी व्यक्ति को निशाना बना सकते हैं, चाहे वह शिक्षाविद हो या आम नागरिक। अनजान कॉल या संदेश मिलने पर घबराने के बजाय उसकी सत्यता की जांच करना और तुरंत स्थानीय पुलिस या विश्वसनीय व्यक्ति से संपर्क करना ही ऐसे अपराधों से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।
वाराणसी में साइबर ठगी, पुलवामा हमले से जोड़कर BHU पूर्व डीन को किया डिजिटल अरेस्ट का प्रयास

वाराणसी में साइबर ठगों ने पुलवामा हमले का डर दिखाकर BHU के पूर्व डीन को डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास किया।
Category: uttar pradesh varanasi cyber crime
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