Thu, 04 Dec 2025 11:34:44 - By : Palak Yadav
काशी तमिल संगमम 4.0 के तहत दक्षिण भारत से आने वाले मेहमानों का क्रम लगातार जारी है। बुधवार की देर रात तमिलनाडु से आए दूसरे दल का बनारस रेलवे स्टेशन पर पारंपरिक और भव्य स्वागत किया गया। स्टेशन परिसर डमरू वादन, पुष्पवर्षा और हर हर महादेव तथा वणक्कम काशी के उदघोष से गूंज उठा। इस दल में अधिकतर सदस्य अध्यापक थे, जिन्हें विशेष ट्रेन से काशी पहुंचाया गया। आगमन के क्षण से ही स्वागत का माहौल इतना विशेष था कि पूरे स्टेशन पर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता की अनुभूति स्पष्ट दिखाई दी।
स्वागत समारोह में राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु और वाराणसी के मेयर अशोक तिवारी उपस्थित रहे। दोनों अतिथियों ने तमिलनाडु से आए सदस्यों को काशी की सांस्कृतिक आत्मीयता से परिचित कराया और तमिल समुदाय तथा काशी के ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह संगम दो प्राचीन और गौरवशाली संस्कृतियों को फिर से जोड़ने का अवसर है, जिससे राष्ट्रीय एकता को नई ऊर्जा मिलती है। काशी की आध्यात्मिक भूमि पर पहुंचे मेहमानों ने स्वागत के इस आयोजन को बेहद खास और अविस्मरणीय बताया।
स्टेशन परिसर में डमरू वादन की ध्वनि से माहौल शिवमय हो गया और पुष्पवर्षा ने ऊर्जा को और बढ़ा दिया। कई सदस्यों ने कहा कि काशी में मिल रही गर्मजोशी, अपनापन और आस्था से भरा वातावरण उनके लिए आध्यात्मिक अनुभव जैसा है। इस तरह का स्वागत उन्हें दक्षिण और उत्तर भारत की सांस्कृतिक एकजुटता का वास्तविक रूप दिखाता है।
कार्यक्रम के अगले चरण में तमिलनाडु से आए सभी डेलिगेट्स गुरुवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन पूजन करेंगे। इसके बाद गंगा घाटों, ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक केंद्रों का भ्रमण कराया जाएगा। आयोजन समिति ने बताया कि मेहमानों को काशी की समृद्ध विरासत, कला, संगीत, अध्यात्म और स्थानीय जीवन शैली से परिचित कराने के लिए कई विशेष कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। इससे दोनों क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को एक दूसरे की परंपराओं, मूल्य प्रणाली और सांस्कृतिक विरासत को और नजदीक से समझने का अवसर मिलेगा।
काशी तमिल संगमम का उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित करना है। चौथे संस्करण में शिक्षा, साहित्य, कला, उद्योग और विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह पहल न केवल सांस्कृतिक आदान प्रदान का मंच है बल्कि भारत की विविधता और एकता का जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।