Fri, 24 Oct 2025 11:51:55 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में 24 अक्तूबर से एक नवंबर तक नौ दिवसीय यज्ञानुष्ठान का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन तेलंगाना की संस्था श्रीपाराशर वैदिक आगम वेद शास्त्र परिषद द्वारा किया जा रहा है और इसे 'यज्ञो वै विष्णुः' नाम दिया गया है। इस यज्ञ का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें राष्ट्र की सुख-समृद्धि, विश्व कल्याण और समाज में शांति एवं सौहार्द की कामना की जाएगी।
इस भव्य आयोजन में दक्षिण भारत के विद्वान और पंडित शामिल होंगे। मुख्य संयोजक और आचार्य पं. जगन्नाथ शास्त्री ने बताया कि काशी में पहली बार माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से एक लाख बिल्व फलों से वैदिक यज्ञ संपन्न होगा। इसके लिए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम से आए 11 वैदिक ब्राह्मण प्रतिदिन एक लाख 116 हवन करेंगे। यज्ञ का आयोजन मंदिर के यज्ञ कॉरिडोर में स्थित श्रीनीलकंठ महादेव मंदिर के सामने किया जाएगा और प्रतिदिन अनुष्ठान सुबह आठ बजे शुरू होंगे।
यज्ञानुष्ठान में विविध धार्मिक कार्यक्रम और संस्कार भी शामिल हैं। इसमें सामूहिक गणपति पूजा, दीक्षा समारोह, कंकण पहनना और गणपति व्रत के यज्ञ का आयोजन होगा। 30 अक्तूबर को काशी में पहली बार श्रीवेंकटेश्वर स्वामी और श्रीपद्मावती अलीमेलुमंगा का विवाह उत्सव मनाया जाएगा, जिसे दक्षिण भारत में श्रीनिवास कल्याण उत्सव के नाम से जाना जाता है।
इस नौ दिवसीय अनुष्ठान में पुष्पगिरि पीठाधीधिपति अभिनवोद्दंड विद्या शंकर भारती, अमृतानंद सरस्वती स्वामी, डॉ. सामवेद षणमुख शर्मा, राधा मनोहर दास सहित कई विद्वान और पंडित भाग लेंगे। इसके अलावा प्राचीन ऋषियों और वैदिक संस्कृति पर आधारित चित्र प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी। प्रतिदिन शाम को दक्षिण भारतीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम और शास्त्रीय प्रस्तुतियां दी जाएंगी, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक वातावरण और भी भक्तिमय बनेगा।
इस यज्ञ का विशेष आकर्षण बाबा विश्वनाथ को अर्पित किया जाने वाला एक किलो का स्वर्ण नाग होगा। आयोजन के आयोजक मानते हैं कि यह पहली बार होगा जब ऐसे भव्य और विस्तृत वैदिक अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है, जो न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेगा बल्कि भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा का प्रचार भी करेगा।
यज्ञ के दौरान श्रद्धालुओं और विद्वानों के लिए सभी व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। श्रद्धालु अपने समय अनुसार अनुष्ठान में भाग लेकर भक्ति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। आयोजकों का कहना है कि यह कार्यक्रम आने वाले वर्षों में भी नियमित रूप से संपन्न किया जाएगा, ताकि वैदिक संस्कृति और धर्म के प्रति लोगों की आस्था और ज्ञान बढ़ता रहे।