Mon, 08 Dec 2025 08:35:07 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: लगातार पाँच दिनों से जारी फ्लाइट निरस्तीकरण के बीच अमौसी एयरपोर्ट पर एक दर्दनाक घटना सामने आई है। कानपुर के रहने वाले 46 वर्षीय अनूप पांडेय, जो एक निजी कंपनी में फाइनेंस एक्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत थे, शुक्रवार देर रात फ्लाइट का इंतज़ार करते समय अचानक गिर पड़े। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जल्दबाजी में लोकबंधु अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। रविवार को पोस्टमार्टम के बाद उनका शव परिजनों के हवाले किया गया।
अनूप पांडेय मूल रूप से कानपुर के कल्याणपुर के रहने वाले थे और परिवार के साथ बंगलूरू में रहते थे। रिश्तेदार की तेरहवीं में शामिल होने के लिए वह पाँच दिन पहले अकेले कानपुर आए थे। शुक्रवार रात उनकी बंगलूरू के लिए दिल्ली होकर कनेक्टिंग फ्लाइट थी, पर लगातार उड़ानें रद्द होने से वह मानसिक दबाव में थे। परिवार का आरोप है कि फ्लाइट निरस्तीकरण की अराजकता ने उन्हें बेहद परेशान कर दिया था।
भाई अनिल पांडे ने बताया कि एयरपोर्ट प्रशासन से सीसीटीवी फुटेज और घटनाक्रम की जानकारी माँगने पर भी कोई सहयोग नहीं किया गया। उनका कहना है, अगर एयरपोर्ट पर तुरंत डॉक्टर मौजूद होते, तो मेरे भाई की जान बच सकती थी। हमें अभी तक साफ जानकारी नहीं मिली कि किस हालत में उन्हें अस्पताल भेजा गया।”
लखनऊ एयरपोर्ट पर बीते कई दिनों से उड़ानों की अव्यवस्था चरम पर है। रविवार को भी 33 फ्लाइटें रद्द रहीं, जबकि दिल्ली से आने वाली एक फ्लाइट को कोलकाता डायवर्ट करना पड़ा। पांच दिनों से यात्रियों की परेशानियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं और एयरलाइंस की जवाबदेही को लेकर सवाल तेज हो गए हैं। 740 यात्रियों ने टिकट कैंसिल कराए, जबकि बड़ी संख्या में यात्रियों को होटल और टैक्सी के अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ रहा है।
एयरपोर्ट पर यात्रियों की हताशा और नाराज़गी खुले तौर पर देखने को मिली। बलरामपुर से आईं दो बहनों की फ्लाइट रद्द होने पर एक युवती फूट-फूटकर रोने लगी। इसी तरह गोरखपुर के कपिल यादव की अबूधाबी की यात्रा बिगड़ गई क्योंकि लखनऊ से मुंबई की उड़ान आखिरी समय में निरस्त कर दी गई।
एक यात्री ने बताया कि उसने एयरलाइंस से टिकट की बार-बार पुष्टि कराई थी, लेकिन एयरपोर्ट पहुँचते ही उन्हें उड़ान रद्द होने की सूचना मिली। बढ़ती परेशानियों के बीच यात्रियों ने डीजीसीए से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि एयरलाइंस की जवाबदेही तय की जा सके।
पांच दिनों की पारिवारिक यात्रा के बाद बंगलूरू लौटने की तैयारी कर रहे अनूप पांडेय की अचानक मौत पर परिवार सदमे में है। उनकी पत्नी पूजा, जो घटना के समय बंगलूरू में थीं, रात 11 बजे कॉल करने पर उन्हें उनके निधन की सूचना मिली। इसके बाद वह टैक्सी से बच्चों के साथ कानपुर पहुँचीं। 17 वर्षीय बेटी श्रेया और हाईस्कूल में पढ़ने वाला बेटा पारस पिता के पार्थिव शरीर को देखकर फूट-फूटकर रो पड़े।
अनूप पांडेय बंगलूरू में कोकाकोला कंपनी में ज़ोनल सेल्स हेड के पद पर कार्यरत थे। भाई अनिल का कहना है, कि “अमौसी एयरपोर्ट पर मेडिकल टीम उपलब्ध होती, तो अनूप को बचाया जा सकता था। देर से इलाज मिलने के कारण ही उनकी मौत हुई।” परिजनों ने स्पष्ट कहा है कि वे एयरपोर्ट अथॉरिटी से पूरी घटना की जांच और मेडिकल सुविधाओं की गुणवत्ता को लेकर जवाब मांगेगे।
लगातार रद्द हो रहीं उड़ानें, एयरपोर्ट पर अव्यवस्था, यात्रियों की समझ में न आने वाली स्थिति और चिकित्सा सुविधाओं की कमी, इन सबने एक रफ्तार से भागती व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है।
अनूप पांडेय की अचानक हुई मौत ने इन सवालों को और तीखा कर दिया है, कि क्या एयरपोर्ट पर चिकित्सा सुविधा पर्याप्त थी? क्या फ्लाइट निरस्तीकरण की अराजकता ने यात्रियों को मानसिक तनाव में डाला? क्या एयरलाइंस यात्रियों को समय रहते उचित सूचना दे रही हैं? क्या एयरपोर्ट प्रबंधन की लापरवाही एक व्यक्ति की जान पर भारी पड़ी?
एयरपोर्ट पर बढ़ती अव्यवस्था के बीच यह घटना प्रशासन और एयरलाइंस दोनों के लिए एक गंभीर चेतावनी है।