Wed, 16 Jul 2025 21:05:17 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: नगर निगम लखनऊ के जोन-1 में तैनात एक लिपिक पर रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप सामने आया है, जिससे निगम प्रशासन में हड़कंप मच गया है। आरोप है कि जोन-1 कार्यालय में कार्यरत बाबू मनोज कुमार आनंद ने एक म्युटेशन फाइल को तेजी से निपटाने के बदले ₹50,000 की रिश्वत मांगी थी। इस पूरी बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें बाबू एक व्यक्ति से रकम तय करते हुए यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि "भाई, रकम ऊपर तक जाती है, मैं अकेले नहीं रखता।"
देखें पूरा विडियो : नगर निगम के बाबू पर रिश्वतखोरी का आरोप, वीडियो सामने आने के बाद मचा हड़कंप
मामला लाल कुआं वार्ड से जुड़ा है, जहां निवासी रामपाल अधिकारी के माध्यम से भवन म्युटेशन की प्रक्रिया के लिए आवेदन किया गया था। जानकारी के अनुसार, ऊषा दीक्षित और आशा दीक्षित नामक महिलाओं के भवन का म्युटेशन प्रभाकर त्रिपाठी के नाम पर कराना था, जिसके लिए 19 जून 2025 को जोन-1 कार्यालय में आवेदन किया गया था। इस फाइल की जिम्मेदारी बाबू मनोज कुमार आनंद को दी गई थी।
पीड़ित पक्ष का आरोप है कि बाबू ने 15 जुलाई को उन्हें बुलाया और स्पष्ट रूप से ₹50,000 की मांग की। बातचीत के दौरान सौदेबाजी हुई और राशि ₹40,000 पर तय हो गई। दावा किया गया कि ₹10,000 की पेशगी भी दी गई, हालांकि इस रकम के आदान-प्रदान का हिस्सा वीडियो में नहीं दिख रहा है। वायरल वीडियो में केवल बातचीत का अंश रिकॉर्ड है। जैसे ही यह वीडियो सामने आया, नगर निगम प्रशासन में हड़कंप मच गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य कर मूल्यांकन अधिकारी (CTAO) अशोक सिंह ने जोनल अधिकारी ओपी सिंह से तत्काल रिपोर्ट तलब की। प्रारंभिक जांच में मनोज कुमार प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए, जिसके बाद CTAO ने नगर आयुक्त को कार्रवाई के लिए संस्तुति भेज दी है।
वहीं, बाबू मनोज कुमार आनंद ने खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। सफाई देते हुए कहा कि यह वीडियो उन्हें ब्लैकमेल करने की मंशा से बनाया गया है और यह एक साजिश है। उनका कहना है कि उनके पास भी एक ऑडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है, जो मामले की असली तस्वीर को उजागर कर सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि वे अपना लिखित पक्ष जोनल अधिकारी को सौंप चुके हैं।
फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर मामले की गहन जांच की जा रही है। नगर आयुक्त कार्यालय से कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है, और यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो संबंधित बाबू के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।