Fri, 31 Oct 2025 11:39:58 - By : Tanishka upadhyay
लखनऊ: राजधानी लखनऊ में औद्योगिक विकास को नई दिशा देने के उद्देश्य से सरकार फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स (एफएफसी) का निर्माण करने जा रही है। यह कॉम्प्लेक्स अशोक लेलैंड के पास स्थित स्कूटर इंडिया की भूमि पर बनाया जाएगा। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग ने इसके लिए 400 वर्ग मीटर भूमि चिह्नित की है। पांच मंजिला इस कॉम्प्लेक्स में करीब 150 सूक्ष्म और लघु उद्योग इकाइयां स्थापित की जाएंगी। लखनऊ के बाद गोरखपुर में भी इसी तरह का कॉम्प्लेक्स बनाने की तैयारी शुरू हो गई है।
पहले इस परियोजना के लिए अमौसी औद्योगिक क्षेत्र में भूमि चयनित की गई थी, लेकिन उपयुक्त स्थान न मिलने के कारण अब स्कूटर इंडिया की भूमि को चुना गया है। इस भूमि का एक हिस्सा पहले ही हिंदुजा समूह को अशोक लेलैंड की इलेक्ट्रिक बस और ट्रक निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए दिया जा चुका है। कंपनी को 147.49 एकड़ में से 70 एकड़ भूमि दी गई थी। शेष भूमि को उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) के अधीन कर दिया गया था, जिसमें से 400 वर्ग मीटर क्षेत्र पर अब इस नए फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया जाएगा।
एमएसएमई विभाग की योजना है कि इस कॉम्प्लेक्स में आईटी, परिधान, स्पोर्ट्स शूज, खाद्य प्रसंस्करण, खिलौने, अगरबत्ती, मसाला, नमकीन, इलेक्ट्रॉनिक्स, होजरी और अन्य छोटे उद्योगों की इकाइयों को जगह दी जाएगी। यह कॉम्प्लेक्स प्लग एंड प्ले व्यवस्था पर आधारित होगा, यानी उद्यमियों को तैयार ढांचा और आवश्यक सुविधाएं पहले से उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि उन्हें उद्योग शुरू करने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
विभाग ने योजना बनाई है कि निर्माण से पहले सभी आवश्यक विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त कर लिया जाएगा। इससे निवेशकों को विभिन्न विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और उन्हें उद्योग स्थापना की प्रक्रिया में सुविधा मिलेगी। एमएसएमई विभाग का मानना है कि इस कॉम्प्लेक्स से न केवल छोटे उद्यमों को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने बताया कि लखनऊ के बाद गोरखपुर में भी फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स के निर्माण की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य प्रदेश में औद्योगिक ढांचे को सुदृढ़ बनाना और युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना है। यह कॉम्प्लेक्स प्रदेश की औद्योगिक नीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा और छोटे उद्योगों को नई ऊर्जा प्रदान करेगा।