Tue, 30 Sep 2025 13:14:33 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: रामनगर क्षेत्र में माँ अम्बे पूजा समिति, अशोक स्तंभ चौक द्वारा इस वर्ष अपने 21वें स्थापना वर्ष पर एक अद्वितीय और भव्य आयोजन किया गया है। समिति ने श्रद्धालुओं की आस्था को और भी प्रगाढ़ करने के उद्देश्य से विशाल चाला मूर्ति की स्थापना की है। इस मूर्ति के दर्शन मात्र से भक्तों को अलौकिक ऊर्जा और दिव्य शांति का अनुभव हो रहा है।
पूजा स्थल को सजाने के लिए 40 फीट ऊँचा आकर्षक पंडाल तैयार किया गया है, जो न सिर्फ रामनगर बल्कि पूरे वाराणसी में चर्चा का केंद्र बन गया है। रंग-बिरंगी रोशनियों और पारंपरिक सजावट से सुसज्जित यह पंडाल रात्रि के समय किसी अलौकिक मंदिर का आभास कराता है। श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ से स्पष्ट है कि माँ दुर्गा के इस महापर्व ने भक्तों के हृदयों में विशेष स्थान बना लिया है।
हमारे संवाददाता से बात करते हुए, समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राहुल देव कसेरा ने बताया कि इस बार कार्यक्रम को और भी विशेष बनाने के लिए डिजिटल इंडिया की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। भक्त अब पंडाल पर लगे क्यूआर स्कैनर के माध्यम से अपनी श्रद्धा और सहायता राशि सीधे डिजिटल भुगतान से अर्पित कर सकते हैं। परंपरा और तकनीक का यह सुंदर संगम न सिर्फ भक्तों के लिए सुविधा का माध्यम बना है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी दे रहा है।
माँ अम्बे पूजा समिति ने अपने पंचदिवसीय कार्यक्रम में प्रतिदिन भव्य प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की है। प्रसाद ग्रहण करने के लिए दूर-दराज़ से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। सुबह से ही भक्तों की भीड़ मंदिर परिसर और पंडाल के आस-पास उमड़ पड़ती है, जहाँ माता रानी के जयकारों से वातावरण गूंजायमान रहता है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि समिति के इस आयोजन ने पूरे क्षेत्र को एक भक्ति और उत्सव की धारा में प्रवाहित कर दिया है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई माता के दरबार में आकर आत्मिक शांति और सुख की अनुभूति कर रहा है।
रामनगर का यह आयोजन अब सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक एकता, सामूहिकता और आधुनिकता का भी प्रतीक बन चुका है। माँ अम्बे की आराधना, भव्य पंडाल, दिव्य मूर्ति और डिजिटल सुविधा के मेल ने इस बार के उत्सव को वास्तव में अद्वितीय बना दिया है।
।।या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।