Tue, 19 Aug 2025 13:23:09 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: काशी एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का साक्षी बनने जा रही है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम अपनी भारत यात्रा के दौरान 11 सितंबर को वाराणसी पहुंचेंगे। यह अवसर इसलिए भी विशेष होगा क्योंकि पहली बार किसी विदेशी प्रधानमंत्री की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग द्विपक्षीय बैठक काशी की धरती पर आयोजित होगी। इस बैठक में व्यापार, प्रौद्योगिकी, औद्योगिक विकास और पर्यटन जैसे अहम विषयों पर गहन चर्चा होगी।
मॉरीशस प्रधानमंत्री रामगुलाम की यह यात्रा 9 सितंबर से 15 सितंबर तक प्रस्तावित है, जिसमें सबसे प्रमुख आयोजन काशी में होना तय किया गया है। उनके स्वागत की तैयारियां प्रशासनिक और सांस्कृतिक दोनों स्तरों पर जोर-शोर से की जा रही हैं। बाबतपुर एयरपोर्ट पर आगमन के समय उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा और पारंपरिक तरीके से भव्य स्वागत किया जाएगा। स्थानीय कलाकारों और सांस्कृतिक दलों द्वारा उत्तर प्रदेश की समृद्ध परंपरा और कला को प्रदर्शित करने वाले कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री रामगुलाम काशी प्रवास के दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण करेंगे। वे श्री काशी विश्वनाथ धाम और बाबा कालभैरव मंदिर में विधिवत पूजन करेंगे। इसके साथ ही वे बौद्ध धर्म की विरासत से जुड़े सारनाथ का दौरा करेंगे और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन संग्रहालय का अवलोकन करेंगे। उनकी यात्रा का एक और प्रमुख आकर्षण गंगा आरती होगी, जिसे देखने वे दशाश्वमेध घाट पहुंचेंगे। इस दौरान गंगा तट पर सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन ने विशेष योजनाएं बनाई हैं।
इस उच्चस्तरीय यात्रा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से उनके सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री भी मौजूद रहेंगे। उम्मीद की जा रही है कि यह शाम सांस्कृतिक आदान-प्रदान और कूटनीतिक रिश्तों को और मजबूत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए मंडलायुक्त एस. राजलिंगम को नोडल अधिकारी नामित किया है। उन्हें अतिथियों के स्वागत और प्रोटोकॉल से जुड़े विस्तृत प्रबंध सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजलिंगम ने बताया कि प्रधानमंत्री के आगमन का मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम अभी अंतिम रूप नहीं लिया गया है, लेकिन सभी तैयारियां तेजी से की जा रही हैं।
गौरतलब है कि काशी और मॉरीशस का रिश्ता वर्षों पुराना है। प्रवासी भारतीयों की बड़ी संख्या मॉरीशस में निवास करती है और सांस्कृतिक रूप से वहां भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार की गहरी छाप देखी जा सकती है। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रिश्तों को नई ऊर्जा मिलने की संभावना जताई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि 11 सितंबर 2023 को भी काशी ने मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ की मेजबानी की थी। उस दौरान वे अपने रिश्तेदार की अस्थियों का विसर्जन करने दशाश्वमेध घाट पहुंचे थे। इस बार की यात्रा भले ही धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों से जुड़ी हो, लेकिन इसके साथ ही यह कूटनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम साबित होने जा रही है।