Mon, 24 Nov 2025 11:58:28 - By : Tanishka upadhyay
मीरजापुर में न्यायालय की कार्यवाही के दौरान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक जिंदा अभियुक्त को मृत दिखाकर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगा है। इस गंभीर प्रकरण में देहात कोतवाली के दारोगा सुरेश सिंह और नुआंव गांव की ग्राम प्रधान विद्या देवी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राहुल कुमार सिंह की अदालत ने नोटिस जारी किया है। अदालत ने दोनों को 25 नवंबर की सुबह साढ़े दस बजे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।
यह मामला वर्ष 1986 से जुड़ा है, जब शहर कोतवाली पुलिस ने नुआंव गांव के रहने वाले शिवशंकर पुत्र सत्यनारायण केवट सहित अन्य पर मारपीट के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। वर्षों से चल रही सुनवाई के बीच एक नवंबर 2025 को अदालत ने शिवशंकर के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा को उसे पेश करने के निर्देश दिए।
वारंट के अनुपालन में दारोगा सुरेश सिंह ने अदालत में रिपोर्ट दी कि शिवशंकर घर पर नहीं मिला और उसके भाई शंकर ने बताया कि छह वर्ष पहले एक हादसे में उसकी मृत्यु हो चुकी है। दारोगा के इस दावे के समर्थन में ग्राम प्रधान विद्या देवी ने भी अपने लेटर पैड पर यह लिखकर पुलिस को दिया कि शिवशंकर की मौत हो चुकी है।
लेकिन मामला तब पलट गया जब पुलिस ने इसी शिवशंकर को 19 नवंबर 2025 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। शनिवार को वह जेल से पेशी पर अदालत में स्वयं उपस्थित हुआ। उसके उपस्थित होने के बाद अदालत ने अपनी नाराजगी जाहिर की और कहा कि दारोगा ने एक लोक सेवक की तरह अपने दायित्व का पालन नहीं किया, बल्कि न्यायालय को गलत जानकारी देकर गुमराह किया है।
इसके साथ ही अदालत ने ग्राम प्रधान से भी सवाल किया है कि बिना किसी जांच और सत्यापन के किसी व्यक्ति की मृत्यु का प्रमाण कैसे दिया गया, जबकि संबंधित व्यक्ति जीवित है और वर्तमान में जेल में निरुद्ध है।
यह प्रकरण न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली बल्कि स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। अदालत में अगले हफ्ते होने वाली सुनवाई में दारोगा और ग्राम प्रधान के जवाब के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी।