प्रयागराज में राष्ट्रीय शिल्प मेले का आगाज आज, दस दिन तक दिखेगा मिनी भारत

प्रयागराज में 32वें राष्ट्रीय शिल्प मेले का आज से आगाज हो रहा है, जिसमें देश भर की कला, हस्तशिल्प और लोक परंपराएं देखने को मिलेंगी।

Mon, 01 Dec 2025 16:46:13 - By : Garima Mishra

प्रयागराज: धर्म, साहित्य, त्रिवेणी संगम और समृद्ध सांस्कृतिक पहचान वाली इस नगरी में आज से राष्ट्रीय शिल्प मेले का आगाज हो रहा है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित होने वाला यह मेला दस दिनों तक चलेगा। इसमें देश भर की कला, हस्तशिल्प, स्वाद और लोक परंपराओं का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। शहर में इसे एक तरह से मिनी भारत के जुटने का अवसर माना जा रहा है, जहां देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति एक ही स्थान पर दिखाई देगी।

इस वर्ष आयोजित हो रहा यह 32वां राष्ट्रीय शिल्प मेला एक भारत श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को और मजबूत करेगा। हर साल की तरह इस बार भी शिल्पकारों, कलाकारों और व्यंजन विशेषज्ञों को अपने हुनर के प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया गया है। आयोजन समिति के अनुसार, इस बार मेले को और अधिक विविधतापूर्ण और आकर्षक बनाने के लिए विशेष तैयारियां की गई हैं।

मेले के लिए कुल 156 स्टाल लगाए गए हैं, जिनमें 129 स्टाल उत्कृष्ट शिल्प उत्पादों के लिए और 27 स्टाल विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों के लिए रखे गए हैं। इन स्टालों पर आगंतुकों को देश की विविध लोक शैलियों और हस्तकला परंपराओं की झलक देखने को मिलेगी। इसमें असम, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश के शिल्पकार शामिल हैं। महोबा के शरद अनुरागी आल्हा की प्रस्तुति देंगे और अंशिका रजोतिया सूफी गायन प्रस्तुत करेंगी।

मेले के मुक्ताकाशी मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत लोकगायिका और पद्मश्री सम्मान प्राप्त मालिनी अवस्थी के लोकगीतों से होगी। इसके अलावा प्रयागराज और अन्य राज्यों के कलाकार लोक नृत्य, संगीत और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की प्रस्तुतियां देंगे। मेले को और जीवंत बनाने के लिए कई राज्यों के मैदान कलाकार भी शामिल होंगे, जो अपनी पारंपरिक वेशभूषा और लोक कलाओं के माध्यम से माहौल को रंगीन बनाएंगे।

मेले के निदेशक सुदेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष देश भर के चुनिंदा शिल्पकारों और पाक कला विशेषज्ञों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। उन्होंने बताया कि आयोजन में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर रोक लगाई गई है। आगंतुकों से अपील की गई है कि वे जूट या कपड़े के झोले साथ लेकर आएं, ताकि मेला पर्यावरण अनुकूल तरीके से संपन्न हो सके।

राष्ट्रीय शिल्प मेला न केवल कला और संस्कृति का मंच है, बल्कि यह देश की विविध परंपराओं को जोड़ने का भी माध्यम है। प्रयागराज में शुरू हुआ यह मेला अगले दस दिनों तक शहरवासियों और पर्यटकों के लिए एक यादगार अनुभव बनने जा रहा है।

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