काठमांडू: नेपाल सरकार ने देश में सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाया प्रतिबंध

नेपाल सरकार ने पंजीकरण न करने पर फेसबुक, यूट्यूब समेत प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, नियमों का पालन करने पर बहाली संभव।

Fri, 05 Sep 2025 15:35:38 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

काठमांडू: नेपाल सरकार ने गुरुवार को एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देशभर में फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप और X (पूर्व में ट्विटर) जैसे सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बंद कर दिया। इस आदेश के बाद रातोंरात लाखों लोग इन माध्यमों से कट गए, जिनका उपयोग वे पढ़ाई, नौकरी, कारोबार और सामाजिक संवाद के लिए कर रहे थे।

सरकार का कहना है कि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल में पंजीकरण कराने की अनिवार्य शर्त का पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने साफ कर दिया था कि जो भी सोशल मीडिया कंपनियाँ देश में काम करना चाहती हैं, उन्हें तय समय सीमा में पंजीकरण कराना होगा, स्थानीय संपर्क कार्यालय खोलना होगा और शिकायत निवारण व्यवस्था स्थापित करनी होगी। लेकिन, फेसबुक, यूट्यूब और X जैसी दिग्गज कंपनियाँ इस प्रक्रिया को समय पर पूरी नहीं कर सकीं।

सरकारी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह कदम साइबर अपराध, फर्जी पहचान और गलत सूचनाओं के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए उठाया गया है। उनका कहना है कि बिना किसी जवाबदेही के संचालित प्लेटफॉर्म लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बन सकते हैं। सरकार का तर्क है कि यदि कंपनियाँ नियमों का पालन करती हैं तो उन्हें तुरंत बहाल कर दिया जाएगा।

दिलचस्प बात यह है कि कुछ प्लेटफॉर्म्स, जैसे TikTok, Viber, और कुछ कम लोकप्रिय ऐप्स (WeTalk, Nimbuzz, Poppo Live) को फिलहाल बंद नहीं किया गया है। इन कंपनियों ने नेपाल सरकार की शर्तें पूरी कर ली हैं और उनका पंजीकरण प्रक्रिया में नाम जुड़ चुका है। इससे यह साफ हो गया है कि यह कार्रवाई केवल उन प्लेटफॉर्म्स पर की गई है, जिन्होंने नियमों की अनदेखी की।

हालांकि, इस कदम ने नागरिक समाज और मानवाधिकार संगठनों के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी है। कई पत्रकार संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि यह प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की आज़ादी पर सीधा हमला है। उनका आरोप है कि सरकार आलोचनात्मक आवाजों को दबाने के लिए ऐसे कानून का सहारा ले रही है। कुछ विशेषज्ञों ने तो इसे "डिजिटल सेंसरशिप" तक करार दिया है।

दूसरी ओर, कुछ नागरिकों ने सोशल मीडिया से अस्थायी दूरी को सकारात्मक दृष्टिकोण से भी देखा है। उनका कहना है कि यह "डिजिटल डिटॉक्स" का अवसर है और शायद इससे लोग किताबों, परिवार और वास्तविक जीवन की बातचीत की ओर लौट सकें। फिर भी, बड़ी संख्या में छात्र और युवा, जो लिंक्डइन और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स से अपनी पढ़ाई और करियर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे थे, अब सीधे प्रभावित हो गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस कदम पर नज़र रखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल की यह नीति एशिया के अन्य देशों के लिए मिसाल बन सकती है, जहाँ सरकारें सोशल मीडिया पर सख्त नियंत्रण की राह देख रही हैं। वहीं, कंपनियों के लिए यह बड़ा सबक है कि वे स्थानीय कानूनों और विनियमों की अनदेखी करके किसी भी बाजार में अनिश्चित काल तक नहीं टिक सकतीं।

फिलहाल, नेपाल सरकार का रुख साफ है, जो प्लेटफॉर्म नियमों का पालन करेगा, उसे वापस चालू कर दिया जाएगा। लेकिन जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, देश के करोड़ों उपयोगकर्ता अचानक डिजिटल संवाद की उस दुनिया से कट गए हैं, जिसका वे पिछले एक दशक से हिस्सा रहे हैं।

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