वाराणसी: नवजात को सांस लेने में दिक्कत अस्पताल गेट पर मां संग 40 मिनट इंतजार

वाराणसी के महिला अस्पताल में नवजात को सांस की दिक्कत पर बीएचयू रेफर किया गया, पर मां संग उसे 40 मिनट तक गेट पर एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा, यह गंभीर लापरवाही है।

Tue, 16 Sep 2025 12:58:25 - By : Garima Mishra

वाराणसी के जिला महिला अस्पताल कबीरचौरा परिसर स्थित मातृ एवं शिशु कल्याण (एमसीएच) विंग में सोमवार को गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया। अस्पताल में जन्मे दो घंटे के नवजात को सांस लेने में दिक्कत होने पर डॉक्टरों ने उसे बीएचयू रेफर कर दिया। एंबुलेंस का इंतजार करते हुए बच्चे और उसकी मां को अस्पताल के गेट पर व्हीलचेयर पर बैठा दिया गया। नवजात को ऑक्सीजन मास्क लगाया गया था और उसकी मां ममता उसे गोद में लेकर करीब 40 मिनट तक गेट पर बैठी रही। इसके बाद 102 नंबर की एंबुलेंस पहुंची और उन्हें बीएचयू भेजा गया।

एमसीएच विंग की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को एक ही स्थान पर बेहतर जांच और इलाज की सुविधा मिल सके। सोमवार सुबह लगभग 10 बजकर 5 मिनट पर 30 वर्षीय ममता ने अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया। जन्म के तुरंत बाद ही नवजात को सांस लेने में कठिनाई हुई। डॉक्टरों ने बीएचयू रेफर करने की सलाह दी। परिवार ने पहले आर्थिक कारणों से इलाज वहां कराने में असमर्थता जताई, लेकिन डॉक्टरों के समझाने पर वे राजी हो गए।

समस्या यह थी कि एंबुलेंस आने से पहले ही मां और नवजात को गेट पर व्हीलचेयर पर बैठा दिया गया। विशेषज्ञों के अनुसार नवजात शिशुओं को संक्रमण का अधिक खतरा होता है और ऐसी स्थिति में उन्हें सुरक्षित वातावरण में ही रखा जाना चाहिए था। करीब 10 बजकर 45 मिनट पर एंबुलेंस पहुंची, जिसके बाद परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ बच्चे को एंबुलेंस में लेकर बीएचयू रवाना हुए।

इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए एमसीएच विंग के हॉस्पिटल मैनेजर प्रितेश सिंह ने कहा कि यह घटना गंभीर है और इसकी जांच कराई जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। वहीं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने भी कहा कि किसी भी मरीज को एंबुलेंस आने से पहले वार्ड से बाहर नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने बताया कि एमसीएच प्रशासन से जवाब तलब किया जाएगा और जांच के बाद कार्रवाई होगी।

जिला महिला अस्पताल कबीरचौरा के एमसीएच विंग में रोजाना लगभग 300 से अधिक महिलाएं ओपीडी में आती हैं और औसतन 10 डिलीवरी होती हैं। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों के आने के बावजूद इस तरह की लापरवाही ने स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर चिंता पैदा की है।

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