Mon, 11 Aug 2025 22:51:02 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को अवैध पेड़ कटाई मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। सोमवार को हुई सुनवाई में एनजीटी ने विश्वविद्यालय पर न केवल जुर्माना लगाया, बल्कि अवैध तरीके से काटे गए हर एक पेड़ के बदले 20 नए पेड़ लगाने का आदेश भी दिया है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को तीन महीने के भीतर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि का आकलन कर वसूली का निर्देश दिया गया है।
एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेथिंल वेल की पीठ ने यह आदेश पारित किया। मामले के याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि सुनवाई के दौरान एनजीटी ने चंदन के पेड़ों की चोरी के मामले को संदिग्ध बताते हुए जांच की आवश्यकता पर जोर दिया।
सुनवाई में बीएचयू की वह दलील भी खारिज कर दी गई, जिसमें कहा गया था कि 12 पेड़ों को इसलिए गिराया गया क्योंकि वे खतरनाक स्थिति में थे। एनजीटी ने स्पष्ट किया कि पौधारोपण अभियानों के तहत पौधे लगाने की अनुमति विश्वविद्यालय को है, लेकिन इससे उसे पहले से विकसित और स्वस्थ पेड़ों को काटने का अधिकार नहीं मिलता।
एनजीटी ने आदेश दिया कि बीएचयू को वसूली और क्षतिपूर्ति प्रक्रिया के दौरान अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया जाएगा। यूपीपीसीबी को निर्देशित किया गया है कि तीन महीने के भीतर विश्वविद्यालय की सुनवाई पूरी कर, अवैध पेड़ कटाई के लिए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि तय करे और वसूली की कार्यवाही पूरी करे।
इस मामले ने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण से जुड़े सवालों को फिर से चर्चा में ला दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदेश न केवल बीएचयू बल्कि सभी संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि हरित क्षेत्र और जैव विविधता की अनदेखी किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही, पेड़ों के महत्व को देखते हुए लगाए जाने वाले 20 गुना पौधों से आने वाले समय में हरित आच्छादन में वृद्धि की उम्मीद भी जताई जा रही है।