Mon, 11 Aug 2025 23:00:01 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नोएडा: पुलिस ने सेक्टर-70 में एक बड़े ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जो खुद को International Police And Crime Investigation Bureau के नाम पर पेश कर रहा था। इस गिरोह ने एक शानदार कार्यालय बनाकर वहां एक नकली "पुलिस स्टेशन" जैसा माहौल तैयार किया था, जिसमें आधिकारिक सील, पहचान पत्र, सर्टिफिकेट और यहां तक कि सरकारी मंत्रालयों के नाम वाले दस्तावेज तक मौजूद थे।
आधी रात का ऑपरेशन : पुलिस को सूचना मिली थी कि सेक्टर-70 स्थित एक बिल्डिंग के पहले माले पर संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं। डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (सेंट्रल नोएडा) शक्ति मोहन अवस्थी के निर्देश पर एक विशेष टीम गठित की गई। रविवार देर रात पुलिस ने घेराबंदी कर वहां छापा मारा। अंदर का नज़ारा हैरान करने वाला था। दीवारों पर "International Police & Crime Investigation Bureau" के बड़े-बड़े बोर्ड, मेज पर रखी फाइलें, लैपटॉप, और नकली आईडी कार्ड की ढेरियां।
गिरफ्तारी और बरामदगी : छापेमारी में गिरोह के छह सदस्य सभी पश्चिम बंगाल के निवासी गिरफ्तार किए गए। पुलिस ने मौके से 9 मोबाइल फोन, 17 स्टाम्प सील, 6 चैकबुक, 9 पहचान पत्र, एक PAN कार्ड, एक वोटर आईडी, 6 एटीएम कार्ड, कई विज़िटिंग कार्ड, एक CPU, और लगभग ₹42,300 नकद बरामद किए। इसके अलावा, कई फर्जी दस्तावेज भी मिले जो जनजातीय कार्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के नाम से जारी बताए गए थे।
साजिश का तरीका : पुलिस जांच में पता चला कि यह गिरोह 4 जून 2025 को किराए पर ली गई जगह से यह काम कर रहा था। महज 10–15 दिनों में उन्होंने खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर की जांच एजेंसी के रूप में पेश कर लोगों को भ्रमित करना शुरू कर दिया था।
गिरोह की रणनीति बेहद चतुराई भरी थी। फर्जी वेबसाइट (www.intlpcrib.in), सरकारी जैसा लोगो, और प्रेस/मानवाधिकार आईडी के नाम पर लोगों से डोनेशन वसूलना। जो भी व्यक्ति इनकी "सेवा" में आता, उसे आधिकारिक पहचान और सरकारी कनेक्शन का भरोसा दिलाया जाता।
पुलिस का बयान : डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने कहा, कि "यह एक संगठित अपराध था, जिसमें आधिकारिक पहचान का दुरुपयोग कर जनता को ठगा जा रहा था। समय रहते कार्रवाई न होती, तो यह गिरोह कई और लोगों को शिकार बना सकता था।"
कानूनी कार्रवाई जारी : थाना सेक्टर-3, सेंट्रल नोएडा में भारतीय दंड संहिता (BNS), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, और Emblems and Names (Prevention of Improper Use) Act के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अब गिरोह के अन्य संभावित सदस्यों और इस नेटवर्क से जुड़े बैंक खातों की जांच कर रही है।
स्थानीय लोगों में चर्चा :इस खुलासे के बाद इलाके में चर्चा है कि इतने बड़े फर्जी ऑपरेशन के बावजूद आसपास के लोगों को भनक तक नहीं लगी। कार्यालय में आने-जाने वालों की आवाजाही को लोग किसी एनजीओ का काम मानते रहे।