Sat, 28 Jun 2025 21:29:57 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नई दिल्ली/अंतरिक्ष स्टेशन: भारत ने एक और ऐतिहासिक क्षण का साक्षी तब बना जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मौजूद ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से सीधा संवाद किया। यह ना केवल एक तकनीकी उपलब्धि थी बल्कि एक भावनात्मक क्षण भी था, जब भारत के प्रधानमंत्री और अंतरिक्ष में तैनात भारतीय वायुसेना के अधिकारी ने एक दूसरे से संवाद किया। इस बातचीत को यूट्यूब पर प्रसारित भी किया गया, जिसे लाखों भारतीयों ने भावुकता और गर्व के साथ देखा।
इस विशेष बातचीत की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु शुक्ला से उनके स्वास्थ्य और अनुभव के बारे में पूछते हुए की। शुक्ला, जो कि भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री हैं, ने प्रधानमंत्री को बताया, “पीएम मोदी, आपकी और 140 करोड़ भारतीयों की शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। मैं यहां ठीक और सुरक्षित हूं। यह अनुभव न केवल व्यक्तिगत है बल्कि पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है। मैं यहां भारत के लिए हूं, और यह मेरे लिए अत्यंत गौरव की बात है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए कहा, “परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है, और आपको पृथ्वी माता की परिक्रमा करने का सौभाग्य मिला है। आप अभी पृथ्वी के किस हिस्से से गुजर रहे हैं?” इसके उत्तर में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने बताया, “थोड़ी देर पहले हम हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे। हम दिन में 16 बार पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं और इतने ही बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं। यह अनुभव शब्दों से परे है, और इसकी गति लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे अकल्पनीय है। लेकिन इस स्पीड में भी जब हम अंदर होते हैं, तो कुछ महसूस नहीं होता। यह जरूर दर्शाता है कि भारत भी अपने विकास की दिशा में उतनी ही तेजी से आगे बढ़ रहा है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने इस संवाद में शुभांशु शुक्ला के अनुभवों को भारत के आगामी अंतरिक्ष अभियानों के लिए मूल्यवान बताते हुए कहा कि भारत के भावी मिशनों गगनयान, चंद्रमा पर मानव लैंडिंग और स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण, में शुभांशु शुक्ला का अनुभव बेहद मददगार होगा। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “मुझे आदत है होमवर्क देने की। आपको जो अनुभव मिल रहा है, वह अब केवल व्यक्तिगत नहीं रह गया है। यह अनुभव हमारे भविष्य के लिए उपयोगी होना चाहिए। आपसे हमें गगनयान मिशन को गति देने में सहयोग मिलेगा, चंद्रमा पर भारत की उपस्थिति और अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने की दिशा में आपके सुझाव मार्गदर्शक होंगे।”
बातचीत के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पल न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से भी देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने भारत की नई पीढ़ी को संबोधित करते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब भारत केवल धरती पर ही नहीं, अंतरिक्ष में भी नेतृत्व के लिए तैयार है।