वाराणसी: रामनगर/ जोनल अधिकारी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, पूरे विभाग में मचा हड़कंप

रामनगर में जोनल अधिकारी मनोज कुमार सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, कोदोपुर निवासी अमित राय ने शासन को आर्थिक नुकसान पहुँचाने की शिकायत की है, जिसकी प्रतियां मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गई हैं।

Thu, 12 Jun 2025 18:45:38 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: रामनगर/ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से पहचान रखने वाली काशी नगरी में इन दिनों एक ऐसा मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसने नगर प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही को कटघरे में खड़ा कर दिया है। रामनगर क्षेत्र से उठी इस गूंज ने नगर निगम के भीतर की परतों को खंगालना शुरू कर दिया है, और केंद्र में हैं रामनगर जोनल अधिकारी मनोज कुमार सिंह, जिन पर एक स्थानीय नागरिक द्वारा संगीन आरोप लगाए गए हैं।

कोदोपुर निवासी अमित राय ने नगर निगम के इस अधिकारी पर न केवल भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया है, बल्कि उनकी कार्यप्रणाली को भी संदेह के घेरे में रखा है। जून 2025 में उत्तर प्रदेश शासन के नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग को भेजी गई विस्तृत शिकायत में उन्होंने दावा किया है कि मनोज कुमार सिंह ने सुनियोजित तरीके से अपने पद का दुरुपयोग कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुँचाया है। उक्त शिकायत की प्रतियां मुख्यमंत्री कार्यालय, गृह विभाग सहित विभिन्न वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को भी भेजी गई हैं।

इस पूरे मामले की जड़ में है रामनगर के रस्तापुर इलाके में स्थित ‘आशीर्वाद मैरिज लॉन’, जिसका नगर निगम के दस्तावेजों में क्षेत्रफल 2500 वर्गफुट दर्ज है, जबकि वास्तविक रूप से यह 7480 वर्गफुट क्षेत्र में फैला हुआ है। अमित राय का दावा है कि मनोज कुमार सिंह ने कथित रूप से मोटी रिश्वत लेकर इस लॉन के क्षेत्रफल को जानबूझकर कम दर्ज किया, जिससे नगर निगम को भारी राजस्व घाटा हुआ। उनका आरोप है कि यह महज एक त्रुटि नहीं, बल्कि एक संगठित षड्यंत्र है जिसमें जानबूझकर तथ्यों को छिपाया गया है।

शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस तरह की गड़बड़ियां सिर्फ एक फाइल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कई अन्य संपत्तियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की फाइलों में भी इसी प्रकार के हेरफेर के संकेत मिले हैं। राय ने इस संदर्भ में नगर निगम के भीतर व्याप्त एक ‘भ्रष्ट तंत्र’ का जिक्र करते हुए मांग की है कि मनोज कुमार सिंह की चल-अचल संपत्तियों की गहन जांच की जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उन्होंने अपने पद का उपयोग करते हुए आय से अधिक संपत्ति तो नहीं जुटाई। वे चाहते हैं कि जांच एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी की निगरानी में हो, जिससे निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।

इस पूरे घटनाक्रम की गंभीरता इस बात से भी समझी जा सकती है कि शिकायत के साथ लगाए गए दस्तावेज और साक्ष्य काफी ठोस माने जा रहे हैं। यह मामला सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का नहीं बल्कि सुसंगठित भ्रष्टाचार का उदाहरण बनता दिखाई दे रहा है। अमित राय ने यह भी चेताया है कि यदि इस पर जल्द कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो जनता का प्रशासन पर से विश्वास उठ सकता है, और इससे शासन की साख को भी धक्का लगेगा।

यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब वाराणसी नगर निगम खुद को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी साबित करने की दिशा में अनेक कदम उठा रहा है। डिजिटल निगरानी, सेवाओं का सरलीकरण, और कर संग्रहण प्रणाली में सुधार जैसे प्रयासों के बीच इस तरह का मामला उजागर होना संस्था की साख को झटका देने वाला है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि आरोपों की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि जनता का भरोसा बहाल रह सके।

अब तक नगर निगम प्रशासन या मनोज कुमार सिंह की ओर से इस संबंध में कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि सूत्रों की मानें तो प्रशासन ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया है और इसकी प्राथमिक जांच शुरू कर दी गई है। बताया जा रहा है कि मनोज कुमार सिंह को फिलहाल उनके वर्तमान दायित्व से हटाकर कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है, उनसे इस मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।और उनके खिलाफ विस्तृत जांच की तैयारी की जा रही है।

गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब मनोज कुमार सिंह का नाम विवादों में आया है। इससे पहले भी उन पर नामांतरण कार्यों में रिश्वत की मांग और कार्यालय में समय पर उपस्थित न रहने जैसे आरोप लगते रहे हैं। परंतु इस बार का मामला इसलिए अधिक अहम है क्योंकि आरोपों के साथ पुख्ता दस्तावेज सामने आए हैं और शिकायत सीधे शासन के उच्च स्तर तक पहुँची है।

इस पूरे घटनाक्रम से यह बात सामने आती है कि यदि आम नागरिक जागरूकता और साहस के साथ आगे बढ़े, तो वे न केवल अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार की दिशा में भी ठोस पहल कर सकते हैं। अमित राय ने यह साबित कर दिया है कि एक सजग नागरिक की मजबूत आवाज प्रशासनिक तंत्र की नींव को झकझोर सकती है। बशर्ते उसके पास तथ्य हों, नीयत साफ हो, और समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव।

अब सारे निगाहें इस पर टिकी हैं कि शासन की ओर से इस मामले में क्या रुख अपनाया जाएगा। क्या होगी जांच की दिशा? क्या दोषियों को मिलेगा दंड? और क्या यह प्रकरण वाराणसी नगर निगम के भीतर ईमानदारी और जवाबदेही की नई मिसाल बन पाएगा? ये सवाल आज केवल रामनगर ही नहीं, बल्कि पूरे वाराणसी के नागरिकों की जुबान पर हैं। हालांकि परिणाम भविष्य के गर्भ में है, लेकिन एक नागरिक की पहल से व्यवस्था को आईना दिखाने का साहसिक प्रयास जरूर सामने आ चुका है।

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