वाराणसी: रामनगर-वरिष्ठ समाजसेवी मुरारी लाल यादव के नेतृत्व में रासलीला का भव्य आयोजन

वरिष्ठ समाजसेवी मुरारी लाल यादव के सौजन्य से रामनगर में रासलीला महोत्सव आयोजित हुआ, वृंदावन के कलाकारों ने हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

Sun, 10 Aug 2025 09:00:37 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: रामनगर में भक्ति और सांस्कृतिक रंगों का ऐसा संगम देखने को मिला जिसने हर दर्शक के मन को भा लिया। वरिष्ठ समाजसेवी श्री मुरारी लाल यादव के सौजन्य से साईं उत्सव वाटिका में आयोजित इस अद्वितीय रासलीला महोत्सव में श्रद्धा, आस्था और कला का ऐसा समावेश हुआ कि हजारों की संख्या में पहुंचे दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देखते रह गए।

इस विशेष आयोजन में वृंदावन से पधारे कुशल कलाकारों ने श्रीकृष्ण और गोपियों के रास की लीलाओं का जीवंत मंचन किया। मंच पर जैसे ही कान्हा की मुरली की मधुर धुन गूंजी, दर्शक भक्ति में लीन हो गए। मथुरा-वृंदावन की पावन कथाओं को गीत, संवाद और नृत्य के माध्यम से इस तरह प्रस्तुत किया गया कि मानो स्वयं ब्रजधाम रामनगर में उतर आया हो। कलाकारों के हावभाव, सुर-लय और पारंपरिक वेशभूषा ने वातावरण को दिव्य बना दिया।

इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष व्यापार सभा प्रदीप जायसवाल, एमएलसी आशुतोष सिन्हा, अजगरा विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सुनील सोनकर, समाजसेवी रमेश वर्मा और पार्षद रामकुमार यादव सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन न केवल हमारी परंपराओं को जीवित रखते हैं बल्कि आने वाली पीढ़ियों में संस्कार और भक्ति की भावना भी भरते हैं।

✍️इस अवसर पर मंच पर उपस्थित अतिथियों ने भी रासलीला के महत्व और अपने अनुभव साझा किए-

वरिष्ठ समाजसेवी एवं अधिवक्ता मुरारी लाल यादव ने संबोधित करते हुए कहा, कि रासलीला केवल देखने का विषय नहीं, इसे आत्मसात करने की आवश्यकता है। यह प्रेम, त्याग, समर्पण और सद्भाव का अद्वितीय संदेश देती है। श्रीकृष्ण ने बताया है, कि ‘भक्त्या मामभिजानाति यावान्यश्चास्मि तत्त्वतः।’
अर्थात सच्ची भक्ति के माध्यम से ही भगवान को उनके वास्तविक स्वरूप में जाना जा सकता है। हमें इसे अपने जीवन में उतारना चाहिए।

एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा, कि रासलीला केवल कथा नहीं, यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की अनुभूति है। श्रीकृष्ण ने कहा है –‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।’
यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि धर्म, प्रेम और भक्ति के मार्ग पर चलना ही जीवन का सार है।"

प्रदेश अध्यक्ष व्यापार सभा प्रदीप जायसवाल ने बताया, कि श्रीकृष्ण की रासलीला में हमें त्याग, प्रेम और समर्पण का अद्वितीय संदेश मिलता है। जैसा कि गोपियों ने कहा है- ‘त्वदीयमनसं नाथ भक्तानां भवितव्यता।’भक्ति में डूबा मन ही सच्चा जीवन है।

अजगरा विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सुनील सोनकर ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा, रासलीला हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति में कोई भेदभाव नहीं होता। जैसा कि श्रीकृष्ण ने गीता में कहा- ‘समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियः।’ ईश्वर सभी के लिए समान हैं।

समाजसेवी रमेश वर्मा ने बोला, गोपियों की निःस्वार्थ भक्ति हमें यह संदेश देती है कि प्रेम और आस्था से बड़ा कोई साधन नहीं। श्रीकृष्ण का यह वचन सदैव प्रेरित करता है–‘मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु।’ मन, वचन और कर्म से प्रभु को स्मरण करना ही जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य है।

पार्षद रामकुमार यादव ने बताया कि रासलीला का हर प्रसंग यह बताता है कि संगीत, नृत्य और भक्ति के माध्यम से ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है। जैसा कि कहा गया है -‘हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलम्।’ कलियुग में भक्ति ही मुक्ति का एकमात्र साधन है।

अंत में, पूरे परिसर में जय श्रीराधे और जय श्रीकृष्ण के उद्घोष गूंजे। भक्तिमय वातावरण में यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं रहा, बल्कि यह आत्मा को ईश्वर से जोड़ने वाली आध्यात्मिक यात्रा बन गया, जो रामनगर के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से दर्ज होगी।

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