Mon, 18 Aug 2025 23:59:12 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: रामनगर थाना क्षेत्र में सोमवार देर रात उस समय हड़कंप मच गया, जब नो-एंट्री के बावजूद एक ट्रक तेज रफ्तार से रामनगर चौराहे की ओर बढ़ा। पीएसी तिराहे से निकलकर चौराहे की तरफ दौड़ रही इस ट्रक को मौके पर मौजूद ट्रैफिक दीवान रामविलास ने रोकने की कोशिश की और काफी मशक्कत के बाद पकड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यदि उस समय ट्रक चालक को नियंत्रित नहीं किया जाता, तो एक बड़ी दुर्घटना घट सकती थी।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि आए दिन नो-एंट्री के दौरान ट्रक शहर में घुस आते हैं और पुलिस की मिलीभगत से बिना रोक-टोक गुजरते रहते हैं। हाल ही में रामनगर चौराहे पर एक दर्दनाक हादसा हुआ था, जिसमें तेज रफ्तार ट्रक ने स्थानीय निवासी सुनील शर्मा को कुचल दिया था। उस घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया था, लेकिन इसके बावजूद लापरवाही पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
हमारे संवाददाता ने जब मौके पर ट्रक चालक से बात की, तो उसने साफ कहा कि रास्ते में उसे किसी ने नहीं रोका। वहीं चौराहे पर तैनात ट्रैफिक दीवान रामविलास का कहना था कि उसने ट्रक को रोकने की भरसक कोशिश की, लेकिन चालक तेज रफ्तार में होने के कारण रुकने को तैयार ही नहीं था। बहुत ही मुश्किल से अपनी जान पर खेलते हुए इसे रोक गया, वरना एक बहुत बड़ा हादसा हो सकता था। अब इससे स्पष्ट है कि या तो पुलिस की ओर से कार्रवाई में ढिलाई बरती जा रही है, या फिर वसूली के लिए समय से पहले ही ट्रकों को शहर में प्रवेश दिया जा रहा है। क्योंकि पीएसी के पास हमेशा पुलिस और ट्रैफिक दोनों की ड्यूटी लगी रहती है, उसके बावजूद ट्रक वाले को न रोकना कई सवाल पैदा करता है। अब ये एक जांच का विषय है, कि आखिरकार माजरा क्या है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वाराणसी शहर में नो-एंट्री का समय रात 11 बजे से है, लेकिन सबसे व्यस्तम चौराहा होने के बावजूद भी यहां रामनगर में इसे रात्रि 10 बजे से ही लागू कर दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद कई ट्रक 10 बजे से पहले ही घुस जाते हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसे में जिम्मेदार कौन है, ट्रैफिक पुलिस, स्थानीय पुलिस, या फिर कौन यही सवाल पूछता है न्यूज रिपोर्ट।
इस घटना के बाद स्थानीय जनता में गुस्सा और बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि प्रशासन के गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण आए दिन सड़क पर हादसों का खतरा मंडराता रहता है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आज सोमवार रात भी एक बाइक सवार बाल-बाल बच गया, वरना हालात और भयावह हो सकती थी।
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग इस मामले में क्या ठोस कदम उठाते हैं। लोगों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि आखिर एक इंसान की जान की कोई कीमत क्यों नहीं समझी जाती? क्या केवल वसूली के लिए नियमों को ताक पर रख दिया जाता है? लगातार होती घटनाओं से साफ है कि अगर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं।