Sat, 13 Sep 2025 11:05:40 - By : Garima Mishra
वाराणसी में डिवाइडर पर बनाए गए मंदिरों और घाटों के चित्रों को लेकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध जताया। उनका कहना है कि धार्मिक स्थलों के चित्रों को सार्वजनिक स्थानों पर बनाने से उनकी पवित्रता प्रभावित होती है और उस पर गंदगी फैलने का खतरा रहता है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस तरह की पेंटिंग से लोगों की आस्था को ठेस पहुंच सकती है और यह श्रद्धा से जुड़े प्रतीकों के अपमान के समान है।
शुक्रवार को सपा युवजन समाज के कार्यकर्ताओं ने लंका क्षेत्र में आक्रोश जताते हुए डिवाइडर पर बने चित्रों पर पेंट लगाकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस दौरान सपा नेता किशन दीक्षित के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने इसे एक अभियान का रूप देते हुए प्रशासन से सख्त मांग की कि धार्मिक प्रतीकों और मंदिरों के चित्रों को सार्वजनिक स्थानों पर न बनाया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसी तस्वीरें मंदिरों और धार्मिक स्थलों तक ही सीमित रहनी चाहिए, क्योंकि खुले स्थलों पर बनने से उन पर धूल, कचरा और गंदगी जमा हो जाती है, जिससे आस्था आहत होती है।
प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि आस्था और श्रद्धा से जुड़े प्रतीकों का अपमान किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से अपील की कि शहर की सुंदरता बनाए रखने के लिए किसी भी तरह की कलाकृति को धार्मिक प्रतीकों से नहीं जोड़ा जाए।
वाराणसी में यह मामला स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोगों का मानना है कि शहर की पहचान और धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए मंदिरों और घाटों के चित्रों का उपयोग सजावट के तौर पर किया जाना चाहिए, वहीं दूसरी ओर विरोध करने वाले समूह का कहना है कि इससे धार्मिक भावनाओं के आहत होने की आशंका है। अब प्रशासन पर यह जिम्मेदारी है कि वह शहर की सजावट और नागरिकों की आस्था के बीच संतुलन बनाकर आगे का रास्ता तय करे।