Sun, 21 Sep 2025 13:22:52 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी: तथागत की उपदेश स्थली सारनाथ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है। यूनेस्को की एक टीम 24 सितंबर को वाराणसी का दौरा करेगी और इस दौरान गंगा घाट से लेकर सारनाथ तक करीब 10 प्रमुख स्थलों का निरीक्षण करेगी। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो सारनाथ उत्तर प्रदेश की चौथी विश्व धरोहर साइट बन सकता है। इससे पहले प्रदेश में आगरा का ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी विश्व धरोहर सूची में शामिल हो चुके हैं।
सारनाथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यह स्थान भगवान बुद्ध के प्रथम उपदेश से जुड़ा हुआ है और विश्वभर के बौद्ध अनुयायियों के लिए आस्था का केंद्र माना जाता है। यहां तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 11वीं शताब्दी तक के बौद्ध स्मारक मौजूद हैं। सारनाथ के चौखंडी स्तूप और धमेख स्तूप पहले से ही पुरातत्व की सूची में दर्ज हैं। संस्कृति विभाग की ओर से यूनेस्को में नामांकन के लिए तैयार किया गया विस्तृत डोजियर जनवरी 2025 में प्रस्तुत किया गया था। अब 2025-26 की सूची में सारनाथ को शामिल करने की संभावना जताई जा रही है।
यूनेस्को की टीम सारनाथ के साथ ही धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप, खंडहर परिसर, पुरातत्व संग्रहालय, गंगा के घाट, मानमंदिर और बिंदु माधव धौरहरा का भ्रमण करेगी। टीम का मुख्य उद्देश्य यह देखना होगा कि ये स्थल विश्व धरोहर सूची के चयन मानदंडों पर खरे उतरते हैं या नहीं। इसके लिए सांस्कृतिक मानदंड जैसे मानव रचनात्मक प्रतिभा का उत्कृष्ट उदाहरण, मानव मूल्यों का आदान-प्रदान, अद्वितीय सांस्कृतिक परंपरा, मानव इतिहास में महत्वपूर्ण चरण और सांस्कृतिक परिदृश्य जैसे बिंदुओं पर परीक्षण किया जाएगा।
विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के लिए किसी स्थल को उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य प्रदर्शित करना जरूरी होता है। साथ ही उसकी प्रामाणिकता, अखंडता और पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। सारनाथ में पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। विश्व बैंक की सहायता से 90 करोड़ रुपये की लागत से पूरे क्षेत्र का सुंदरीकरण किया गया है। खंडहर परिसर के चारों ओर हरियाली विकसित की गई है, स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं, पर्यटकों के बैठने की सुविधाएं और वॉकिंग प्लाजा बनाए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और बुद्धा गैलरी के जीर्णोद्धार का कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है।
पुरातत्व विभाग और संस्कृति विभाग के अधिकारी लगातार यूनेस्को टीम के साथ संपर्क में हैं। उनका मानना है कि इस बार सारनाथ सभी मानदंडों पर खरा उतर रहा है। स्थानीय स्तर पर साफ सफाई और धरोहरों के सौंदर्यीकरण का काम भी तेज गति से पूरा किया जा रहा है ताकि यूनेस्को टीम पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।
अगर सारनाथ को यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा मिल जाता है तो यह न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात होगी। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।