Sun, 03 Aug 2025 21:15:25 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
रियाद/3 अगस्त 2025: सऊदी अरब में मौत की सजाओं को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिक गई हैं। शनिवार को सऊदी अधिकारियों ने एक ही दिन में आठ लोगों को फांसी पर लटका दिया, जिनमें से सात विदेशी नागरिक थे। मृतकों में चार सोमालियाई और तीन इथियोपियाई नागरिक शामिल थे, जिन पर हशीश तस्करी का आरोप था। आठवां व्यक्ति एक सऊदी नागरिक था, जिसे अपनी मां की निर्मम हत्या के जुर्म में सजा-ए-मौत दी गई।
सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक कुल 230 लोगों को फांसी दी जा चुकी है। इन मामलों में 154 मौतें केवल ड्रग्स से जुड़े अपराधों में हुई हैं। आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि इस वर्ष मौत की सजा पाने वालों की संख्या 2024 के रिकॉर्ड 338 मामलों को भी पार कर सकती है, जो अपने आप में पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बन चुका है।
विशेषज्ञों और मानवाधिकार अधिवक्ताओं का मानना है कि इस तेजी के पीछे सऊदी अरब की वर्ष 2023 में घोषित 'वॉर ऑन ड्रग्स' नीति है। इसी अभियान के तहत बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां की गई थीं, जिनके मुकदमे अब फैसले की स्थिति में पहुंच चुके हैं। 2022 के अंत में ड्रग्स से संबंधित मामलों में फांसी पर लगी अस्थायी रोक को हटाने के बाद, इन सजाओं में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है।
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह रुझान सऊदी अरब के ‘विजन 2030’ के उस उद्देश्य के विपरीत है, जिसमें क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश को उदार, खुला और आधुनिक बनाने की बात की थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यात मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच समेत कई संगठनों ने इन आंकड़ों पर गहरी चिंता जताई है। उनका तर्क है कि इतनी बड़ी संख्या में फांसी की सजाएं, वह भी ज्यादातर विदेशी नागरिकों के लिए, न्याय प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं।
हालांकि, सऊदी सरकार अपनी सख्त नीति का बचाव करते हुए कहती है कि फांसी केवल उन्हीं मामलों में दी जाती है, जहां सभी कानूनी अपील प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो और अपराध सार्वजनिक व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा या सामाजिक संरचना के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता हो। अधिकारियों का दावा है कि इन सजाओं से देश में ड्रग्स की आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभावी अंकुश लगा है और हिंसक अपराधों में गिरावट आई है।
फिर भी, विशेषज्ञ यह मानते हैं कि यदि यह प्रवृत्ति यूं ही जारी रही, तो सऊदी अरब की अंतरराष्ट्रीय छवि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। खासकर ऐसे समय में, जब देश विश्व मंच पर निवेश, पर्यटन और सामाजिक उदारीकरण के क्षेत्रों में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सऊदी अरब अपने सुरक्षा चिंताओं को संतुलित करते हुए न्यायिक सुधारों की दिशा में भी कोई कदम उठाएगा, या फिर फांसी की सजाओं का यह सिलसिला आने वाले महीनों में और तेज होगा। इस मुद्दे पर वैश्विक मानवाधिकार निकायों की प्रतिक्रिया और संभावित कूटनीतिक दबाव सऊदी नीति को किस ओर मोड़ेंगे, यह देखना बाकी है।