Tue, 05 Aug 2025 15:24:53 - By : Sayed Nayyar
वाराणसी: बाबा विश्वनाथ के परंपरागत जलाभिषेक और माता श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए सोमवार को शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) द्वारा निकाले जा रहे धार्मिक जुलूस को पुलिस ने बीच में रोक दिया। मैदागिन चौराहे पर पहले से तैनात कोतवाली पुलिस ने सतर्कता बरतते हुए लगभग 50 से अधिक शिव सैनिकों को हिरासत में लिया, जिन्हें बाद में निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया।
यह धार्मिक आयोजन शिवसेना महानगर इकाई के नेतृत्व में किया जा रहा था। शिव सैनिक टाउन हॉल मैदान से जुलूस निकालकर "हर हर बम बम", "शिवसेना जिंदाबाद", "बालासाहेब ठाकरे अमर रहें" जैसे नारे लगाते हुए बाबा दरबार की ओर बढ़ रहे थे।
✍️घटनास्थल पर मौजूद प्रमुख पदाधिकारियों ने क्या कहा:
गुलाब सोनकर, महानगर अध्यक्ष, शिवसेना ने बोला कि “यह परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है। बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक और माता श्रृंगार गौरी का पूजन हमारा धार्मिक अधिकार है। आज हमारी आस्था को प्रशासन द्वारा जबरन दबाया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”
विक्रम यादव, काशी प्रभारी ने कहा कि “हमने शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस निकाला। कोई उकसावे या अव्यवस्था की स्थिति नहीं थी, फिर भी हमें चारों ओर से घेरकर गिरफ्तार कर लिया गया। यह लोकतंत्र में विरोध की नहीं, भक्ति की सजा है।”
प्रेम प्रजापति, महानगर उपाध्यक्ष ने संबोधित करते हुए कहा “हर साल यह आयोजन श्रद्धा और नियमों के साथ होता रहा है। प्रशासन को इस बार इतनी आपत्ति क्यों हुई? क्या काशी में अब श्रद्धालु भी संदिग्ध माने जाएंगे?”
महफूज अली, अध्यक्ष, अल्पसंख्यक मोर्चा ने मीडिया से बताया कि “हमने सभी धर्मों की एकता का प्रतीक बनकर भागीदारी की थी, और यह दिखाया कि बाबा की नगरी सबकी है। लेकिन पुलिस की कार्रवाई से शांति के संदेश को चोट पहुंची।”
हरिनारायण कसेरा, जिला संगठन प्रमुख का कहना था कि “हमने अनुमति की प्रक्रिया भी शुरू की थी, लेकिन प्रशासनिक टालमटोल के बीच हमें जबरन रोका गया। यह श्रद्धालुओं की अवहेलना है।”
संतोष देव बंशी, जिला सचिव ने बोला “यह सिर्फ एक धार्मिक कार्य था, कोई राजनीतिक प्रदर्शन नहीं। बाबा विश्वनाथ के दरबार में जल चढ़ाना अपराध नहीं है, लेकिन आज की स्थिति देखकर लगता है कि प्रशासन इसे अपराध मान बैठा है।”
संजय कुमार, युवा सेवा अध्यक्ष ने बताया कि “युवा शिव सैनिकों में रोष है। हमने कानून नहीं तोड़ा, फिर भी हमें घेरकर ले जाया गया। काशी में अब भक्त भी असुरक्षित हैं।”
कृष्णा सिंह, युवा सेना जिला अध्यक्ष ने बोला कि “जलाभिषेक से रोकना बाबा के भक्तों की आस्था पर हमला है। यह न तो कानूनन उचित है, न ही नैतिक रूप से। हमें मजबूरी में रुकना पड़ा, लेकिन भक्तों का संकल्प जारी रहेगा।”
सुभाष सिंह एवं कन्हैया सेठ, का कहना है, कि“हम बाबा के सेवक हैं, किसी सियासी दल के मोहरे नहीं। हमें रोका गया, फिर छोड़ा गया। यह प्रक्रिया खुद साबित करती है कि प्रशासन असमंजस में था।”
✍️पुलिस का पक्ष:
कोतवाली पुलिस ने अपनी कार्रवाई को "एहतियाती कदम" बताया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, बिना अनुमति धार्मिक जुलूस निकालना कानून व्यवस्था के लिहाज से उचित नहीं था। लिहाजा, स्थिति को नियंत्रित करने और किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए हिरासत में लिया गया।
यह घटना धार्मिक आयोजनों और प्रशासनिक सख्ती के बीच संतुलन की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित करती है। शिवसेना कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे आगे भी परंपरा का निर्वाह करते रहेंगे, जबकि प्रशासन ने भविष्य के लिए स्पष्ट अनुमति प्रक्रिया अपनाने की बात कही है।
काशी में भक्ति और अनुशासन, दोनों की परीक्षा हुई। अब आगे देखने वाली बात होगी कि श्रद्धा और व्यवस्था के बीच सामंजस्य कैसे कायम किया जाता है।