Mon, 04 Aug 2025 14:03:16 - By : Sayed Nayyar
वाराणसी: रामनगर/ पावन श्रावण मास के चौथे सोमवार को जहां देशभर के शिवभक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए उमड़े, वहीं वाराणसी के रामनगर में एक अनोखा घटनाक्रम सामने आया। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट से जुड़े कुल 61 शिवसैनिकों को बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के दौरान रामनगर पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जिन्हें बाद में निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। इस घटना ने धार्मिक आस्था और प्रशासनिक कार्रवाई के बीच संतुलन के सवाल खड़े कर दिए हैं।
✍️ धार्मिक उल्लास में बाधा बनी पुलिसिया घेराबंदी
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी शिवसेना यूवीटी रामनगर इकाई ने श्रावण मास के अंतिम सोमवार को माता श्रृंगार गौरी का दर्शन और बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने हेतु भव्य धार्मिक यात्रा निकाली। यह यात्रा राम जानकी मंदिर, रामनगर से ‘हर हर बम बम’ के नारों के साथ शुरू हुई। शिवभक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। झंडे, डमरू, भजन-कीर्तन और नृत्य के साथ काफिला किला रोड, सब्जी मंडी होते हुए शास्त्री चौक पहुंचा।
शास्त्री प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात जैसे ही जुलूस शास्त्री पुल पार कर बाबा विश्वनाथ मंदिर की ओर बढ़ा, रामनगर पुलिस ने अचानक घेराबंदी कर दी और सुरक्षा व कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए 41 शिव सैनिकों को हिरासत में ले लिया। यह कार्रवाई शांति व्यवस्था भंग होने की आशंका के तहत की गई।
✍️शिंदे गुट के साथ भी हुआ यही व्यवहार
इसी दिन शिंदे गुट के 21 शिवसैनिकों ने भी माता श्रृंगार गौरी के दर्शन और बाबा के जलाभिषेक की योजना बनाई थी। वे जैसे ही जुलूस लेकर आगे बढ़े, रामनगर पुलिस ने उन्हें भी रोककर हिरासत में ले लिया। बाद में सभी को थाना ले जाकर निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया।
✍️घटनास्थल से प्रमुख शिवसैनिकों की प्रतिक्रिया:
✅विक्रम यादव (काशी प्रभारी, उद्धव गुट) ने कहा कि, “श्रावण मास में बाबा के दर्शन पर कोई प्रतिबंध नहीं होता, फिर भी हमें रोका गया। यह सिर्फ हमारी धार्मिक आस्था नहीं, काशी की परंपरा पर प्रहार है।”
✅ हरिओम श्रीवास्तव (जिला महासचिव) ने बोला कि “हम शांतिपूर्ण ढंग से पूजा-अर्चना को जा रहे थे। प्रशासन की यह कार्रवाई अनावश्यक और भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली है।”
✅हरिनारायण कसेरा (शिवसेना यूवीटी) ने कहा कि,“हमें श्रद्धा से रोका गया लेकिन हम बाबा की शरण में जाकर ही रहेंगे। हमारी आस्था को प्रशासन कभी कुचल नहीं सकता।”
✅प्रेम प्रजापति (जिला उपाध्यक्ष) ने बताया कि “हमने न तो कोई कानून तोड़ा, न ही अव्यवस्था फैलाई। सिर्फ धर्म निभाने निकले थे। प्रशासन ने हमारी धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया है।”
✅संजय कुमार (शिवसैनिक) का कहना था कि “हम हर साल इसी परंपरा से जलाभिषेक करते हैं, लेकिन इस बार यह दुखद अनुभव रहा। हम कानूनी तरीके से अपने हक की लड़ाई जारी रखेंगे।”
✍️रामनगर प्रशासन का तर्क
हमारे संवाददाता केशव से रामनगर थाना प्रभारी दुर्गा सिंह ने इस कार्रवाई को "सावधानीपूर्वक की गई एक एहतियातन कदम" बताया। उन्होंने कहा कि “किसी भी बड़े धार्मिक आयोजन में कानून व्यवस्था बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। जब तक अनुमति स्पष्ट न हो, हम किसी भी बड़े जुलूस को शहर की मुख्य सड़कों पर अनुमति नहीं दे सकते।”
✍️ सामाजिक, राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया
यह घटना अब सिर्फ एक धार्मिक यात्रा का विषय नहीं रही, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का केंद्र बन गई है। कई स्थानीय नेताओं और संगठनों ने प्रशासन की इस कार्रवाई को "लोकतांत्रिक अधिकारों पर हस्तक्षेप" बताया है।
इस प्रकरण ने एक बार फिर धार्मिक आस्था बनाम प्रशासनिक नियंत्रण की बहस को हवा दी है। श्रावण मास जैसे पवित्र अवसर पर शिवभक्तों को रोकना भले ही प्रशासनिक दृष्टिकोण से उचित माना गया हो, लेकिन जनभावनाओं और धार्मिक स्वतंत्रता की दृष्टि से यह कदम भारी आलोचना के घेरे में है।
काशी की धरती, जहां बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, जनभावना का पर्व है, वहां ऐसी घटनाएं आने वाले समय में नीतियों और कानून व्यवस्था के संतुलन को लेकर गहन मंथन की मांग करती हैं।