वाराणसी: गंगा घाटों पर साइबेरियन पक्षियों का आगमन, बढ़ा पर्यटकों का आकर्षण

साइबेरिया की भीषण ठंड से बचने के लिए 4400 किमी दूर से काशी पहुंचे प्रवासी पक्षी, फरवरी तक घाटों पर रहेंगे।

Sun, 02 Nov 2025 16:01:14 - By : Garima Mishra

वाराणसी: काशी की पहचान केवल उसके धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक वैभव से ही नहीं बल्कि प्राकृतिक सुंदरता से भी जुड़ी है। सर्दियों के मौसम में जब गंगा घाटों पर हल्की धुंध छा जाती है, आरती की गूंज के बीच चाय की खुशबू फैली होती है और भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन को निकलते हैं, तभी घाटों पर एक और आकर्षक दृश्य देखने को मिलता है। यह दृश्य उन हजारों सफेद पंखों वाले प्रवासी पक्षियों का होता है जो हर साल सर्दियों में गंगा किनारे आकर ठहरते हैं।

इन पक्षियों को आमतौर पर साइबेरियन पक्षी कहा जाता है। सफेद शरीर, नारंगी चोंच और पैरों वाले ये पक्षी न केवल हवा में उड़ने में निपुण हैं बल्कि गंगा की लहरों पर तैरते हुए पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। इस वर्ष भी नवंबर के पहले सप्ताह में इनका आगमन हो गया है और ये फरवरी तक काशी के घाटों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहेंगे।

जानकारों के अनुसार, ये पक्षी साइबेरिया से लगभग 4400 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करके भारत पहुंचते हैं। वहां की सर्दियों में तापमान माइनस 50 से माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है, जिससे उनका रहना मुश्किल हो जाता है। इसलिए ये पक्षी अपेक्षाकृत गर्म देशों की ओर उड़ान भरते हैं। प्रोफेसर चांदना हलदार का कहना है कि ये पक्षी यूरोप के कई हिस्सों से होते हुए अफगानिस्तान, मंगोलिया, चीन और भूटान से गुजरते हैं। इनका एक दल पाकिस्तान और राजस्थान के रास्ते प्रयागराज होकर वाराणसी पहुंचता है। यह यात्रा न केवल लंबी है बल्कि जीवन के लिए जोखिमों से भरी भी रहती है।

काशी पहुंचने के बाद भी इन प्रवासी पक्षियों के लिए चुनौतियां खत्म नहीं होतीं। घाटों पर पर्यटक और स्थानीय लोग इन्हें आकर्षित करने के लिए ब्रेड, नमकीन और लाई जैसे खाद्य पदार्थ खिलाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, ये चीजें पक्षियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा करती हैं। साथ ही गंगा के पानी में बढ़ते प्रदूषण से इनका जीवन और अधिक खतरे में पड़ जाता है। हर साल कुछ पक्षी यहीं मर जाते हैं जबकि कई लौटते समय दम तोड़ देते हैं।

वन विभाग ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए जागरूकता अभियान शुरू किया है। विभाग ने घाटों पर विशेष टीमें तैनात की हैं जो पर्यटकों को सही जानकारी देती हैं और उन्हें नुकसानदायक चीजें न खिलाने की अपील करती हैं। विभाग ने पोस्टर और बैनर के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करने का काम शुरू किया है। अधिकारियों का कहना है कि यदि पर्यटक इन पक्षियों की सुरक्षा में सहयोग दें तो आने वाले वर्षों में इनकी संख्या में वृद्धि हो सकती है।

वाराणसी के घाट इन दिनों एक अलग ही रंग में नजर आ रहे हैं। सुबह-सुबह गंगा की ठंडी हवाओं में जब सफेद पक्षियों के झुंड आसमान में उड़ते हैं और पानी पर उतरते हैं, तो दृश्य किसी प्राकृतिक चित्र जैसा प्रतीत होता है। यह दृश्य न केवल स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भी काशी की अनोखी पहचान का एहसास कराता है।

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